
अनबनी जोड़ी
- पवनेश
- 13/04/2024
- लघुकथा
- अनबनी जोड़ी
- 0 Comments
“चांदनी, अगर तुम नहीं चाहती थी।” केशव ने दुल्हन बनी चांदनी से धीमी आवाज में प्रश्न किया। “तो फिर तुमने मुझसे शादी क्यों की?”
आज केशव और चांदनी की शादी के बाद पहली रात है। प्रथम स्पर्श के रंगीन सपने संजोए केशव जब चांदनी के पास पहुंचा तो चांदनी ने अपने अतीत को उजागर करते हुए दांपत्य जीवन में आगे बढ़ने से इनकार कर दिया।
“मैं मजबूर थी।” कहते हुए चांदनी सुबकने लगी। “जब आप मुझसे पहली बार मिलने आए थे उस समय मम्मी और पापा ने आपको कुछ भी बताने पर जहर खाकर जान देने की धमकी दी थी।”
“तुम उसके बाद भी तो बता सकती थी।” केशव को समझ नहीं आ रहा था कि वह आगे क्या करे। “इतनी बार कॉल पर बात की हमने।”
“आपसे कॉल पर मैं नहीं दीदी बात करतीं थीं।” चांदनी ने आंसूओं भरा चेहरा ऊपर उठाते हुए कहा। “एक बार मैंने कोशिश की आपको बताने की अलग नंबर से मगर वह कॉल बीच में कट गया था क्योंकि दीदी ने छीनकर काट दिया था। उसी रात मम्मी ने चूहे मारने वाली दवा खा ली थी।”
“अब?” खुद को सम्हालने की कोशिश में केशव ने कुछ पल सन्नाटे के बाद एक शब्द में सवाल किया।
“आप मुझे माफ कर दीजिए।” चांदनी ने सुबकते हुए अपनी इच्छा प्रकट की। “अगर आप मुझे मधुर के पास पहुंचा देंगे तो आपकी बड़ी मेहरबानी होगी।”
“मगर. . . . . . . !!” केशव मगर के आगे कुछ न कह सका।
उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि चांदनी के साथ उसकी इस अनबनी जोड़ी को लेकर वह आगे क्या करे।
नोट:- इस परिस्थिति केशव को क्या करना चाहिए, अगर आपके पास कोई उपाय हो और आप इस परिस्थिति से बाहर आने के लिए केशव को कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आपके सुझाव का कमेंट बॉक्स
में स्वागत रहेगा।
Leave A Comment
You must be logged in to post a comment.