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अमलतास

अमलतास – शशि धर कुमार

आमंत्रण क्रमांक: कल्प/मई/२०२५/स
विषय: हास्य-व्यंग्य
शीर्षक: अमलतास
अमलतास जी खड़े हुए थे सोसाइटी के गेट पे,
झूल रहे थे फूलों संग, जैसे नेता डेट पे।

सुनहरी फूल के गुच्छे बोले, “बाबू ज़रा हटो,
तुम्हारी छाँव में बैठ के, कबूतर भी कहे पटो!”

बगल से निकली मिसेज़ गुप्ता, बोलीं बड़े प्यार से,
“कितने सुंदर फूल हो तुम, आते हो हर साल से!”

फूल हँसे और बोले, “हम तो निःशुल्क मुस्कराते हैं,
ना टिकट, ना ट्रॉफी, बस पवन संग लहराते हैं!”

बच्चे झूले डाल गए, सेल्फी लेने लग गए,
फूल बोले, “रुक जाओ बच्चों, हम तो शर्म से झड़ गए!”

किसी ने कहा “वाव”, किसी ने कहा “वाह”,
अमलतास बोला, “अब मत कहो, मैं तो थक गया राह!”

अमलतास के नीचे बैठा मैं कवि बन गया,
दो लाइन लिखी, और फिर वहीं झपकी आ गया।

सुनहरी फूल के गुच्छे ऐसे गिरे बालों पे,
लोग बोले – “वाह! लगता है ऋषि टाइप आ गया!”

पंछी बोले – “भाई हटो, यहाँ हमारा अड्डा है,”
मैं बोला – “अरे रुको, ये तो कवियों का अड्डा है!”

कुत्ता भी आकर बोला, “अबे हटो यार,
इतना सज-धज के क्यों खड़े, तुम कोई बारात के सरदार?”

फूलों ने ठहाका लगाया, बोले, “हम VIP हैं,
पता नहीं? हम इंस्टा रील में ट्रेंडिंग ट्री हैं!”

अब हर गली, हर मोड़ पे अमलतास की खूबसूरती को तरस रहे,
और सुनहरी फूलों के संग लोग अपने व्हाट्सअप्प की DP बदल रहे।
©️✍️शशि धर कुमार, कटिहार, बिहार
Instagram ID: ishashidharkumar

Shashi Dhar Kumar

One Reply to “अमलतास – शशि धर कुमार”

  • पवनेश

    राधे राधे आदरणीय शशिधर जी, अमलतास एक तीर और कई निशाने, उत्तम प्रयास, 🙏🌹🙏

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