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आदमी की कहानी

आदमी अंदर-अंदर दु:खी है,
औरों के सामने है खुश।

अंदर से है टूटा- टूटा,
अपनों के लिए है खुश।

(खुशी) हंसती है अपने आने पर,
वो रोता है उसे पाने पर ।

वो सोता तो है ,(सोने )को ,
पर जागता है उसे पाने को ।

वो दिखना कोई चाहता है,
पर अंदर से देखें तो,
वो दिखता है कोई और ।

कौन सुनता है उसकी सिसकियां,
कौन कहता है उसकी कहानी ।

ये कहानी तो हर किसी की है,
पर है मेरी जवानी ।

— दीपक वशिष्ठ, मथुरा

Deepak Kumar Vasishtha

One Reply to “आदमी की कहानी”

  • पवनेश

    आदमी की कहानी, प्रवाहमान सृजन हेतु बहुत – बहुत बधाई, राधे राधे 🙏

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