आ गए नए चुनाव।
- पवनेश
- 2024-04-02
- मुक्तक
- आ गए नए चुनाव।
- 1 Comment
आ गए नए चुनाव भईया आ गए नए चुनाव।
पैदल - पैदल नेता मंत्री फिर रए है गलियन और गांव।।
गांधी टोपी, कुर्ता सदरी, हाथ जुडे और आँखें नीचे।
दद्दा, कक्का, भईया, बिट्वा, हम सेवक - तुम साव।।
आ गए नए चुनाव . . . . . . . . . . !!
अम्मा, कक्की, मौसी, माईं, फुआ, जिज्जी, बिन्नू, बिटिया।
साड़ी ले लो, लेयो किताबें, लेओ सिलेंडर ओ फटफटिया।।
आवन - जावन हेत साइकिल, और खेल खेलबे हां मैदान।
सड़क बना हैं सोने जैसी, सोवे हां बिछवा दें खटिया।।
द्वारे - द्वारे बहवे नदी दूध की, और चांदी की नाव।
आ गए नए चुनाव . . . . . . . . . . !!
अप्पू घर बनें गली - गली में, एक गांव में छः विद्यालय।
सातउ दिनन- चौबिसऊ घंटा बिजली पानी औषधालय।।
नाली नाला साफ - सफाई, पुलिस सुरक्षा चाक चौबंद,
मनोरंजन के खेल भतेरे, हम पहुंचा देहें तुम्हें देवालय।।
खेतन में फसलन के संगे हम उगवा दें असबाब।
आ गए नए चुनाव . . . . . . . . . . !!
टीका - चंदन, टोपी - पगड़ी, गमछा - झंडा, बिल्ला - बैनर।
पढ़े - लिखे हम ठेंगा नईयाँ, बिना पढ़ें बनवां दें डॉक्टर।।
पिछली बार कही ती हमने, अगली बार कहेंगे फिर से।
लोकतंत्र के परम पुजारी, जनसेवक हम सबसे बेहतर।।
जात धर्म मजहब न कहवें खुद से तुम समझाव।
आ गए नए चुनाव . . . . . . . . . . !!
मतदाता वोटर से विनती, वोट डालवें जानें निश्चय।
समझ बूझकर वोट डालना, है चुनाव लोकतंत्र का उत्सव।।
जात पात की तोड़ धारणा, लोक लुभावन बात न सुनना।
वोट हमारा शस्त्र अनूठा, करना लोकतंत्र की जय - जय।।
कालनेमि आ हैं भटकावें, न बहको न भटकाव।
आ गए नए चुनाव . . . . . . . . . . !!
One Reply to “आ गए नए चुनाव।”
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Kalpkatha
शाबाश….
ऐसे ही चुनावों का प्रमोशन करता रह। चुनाव हम ही जीतेंगे।