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एकाकी जीवन

अकेले जीना क्या होता है ?

एक बार, जो जी लिया ,

तो फिर इस माया से भरी दुनियां

और लालच से जुड़े रिश्तों में ,

आसान हो जाता है कहीं,

अपने आप को ढूंढना ,

और जान लेना स्वयं के अस्तित्व का होना ।

 

पहले पहल अकेलापन काटने को दौड़ता,

दूर तक भगाता, बेचैन सोने नही देता ।

अकेला इंसान करता है जब अभ्यास इसका,

सबसे पहले… उसे मिलता है , उपहार

स्वयं को जानने का,

जीवन के सत्य से होता है दूसरा…

उसका साक्षात्कार,

तीसरा… रिश्तों की आती है समझ ,

और चौथा… कौन है झूठा

जान लेता है वे पल भर में ।

 

आंखों के सामने पड़ा था जो परदा

और जो जमी थी धूल बुद्धि पर ,

सारी की सारी… कुछ ही दिनों में छट जाती है ।

एकाकी जीवन ही है जो…

किसी को बनाता है.. चित्रकार

कोई बनता है लेखक .. तो कोई कवि ।

अकेले रहना यूं तो मुश्किल है,

पर रहकर एकाकी जीवन…

अनजान भीड़ में भटकने से,

आसान कर देता है कहीं ज्यादा अपने विचारों

के आकाश में स्वतंत्र होकर उड़ना ।

 

जो माया के धंधे में हैं पड़े ,

जन्म से मृत्यु तक तुम से

कुछ न कुछ हैं मांगते ।

और देखना है कौन-कौन नहीं है तुम्हारा ,

तो ज़रा उनके एक आग्रह को ठुकराकर.. देखो ।

वे शायद मरे बाद तक भी ना याद करें तुम्हें ,

क्योंकि सामाजिक जीवन है ही स्वार्थ से भरा ।

जबकि एकाकी जीवन नहीं मांगता ,

तुम से कोई भी बलिदान ।

 

इसका आधार है एक ,  

कि…

हम सब गिराए गए है,

माया के एक बड़े से कुंए में ।

जहां से निकलने का एक ही है रास्ता ,

और एक ही है रास्ता स्वयं को जानने का भी,

जन्म मरण क्या है ? आत्मा का आवरण क्या है ?

जो बिना एकाकी हुए… समझ पाना

मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ।

तो अकेलेपन को शाप ना समझो,

करो चिंतन-मनन और छूट जाओ

मोहमाया के इस जाल से ।

क्योंकि आए हैं अकेले और जाना भी अकेले ही हम सब को ।

 

– दीपक वशिष्ठ,मथुरा, उत्तरप्रदेश

Deepak Kumar Vasishtha

One Reply to “एकाकी जीवन”

  • पवनेश

    एकाकी जीवन के श्वेत और श्याम दोनों पक्षों को आपने पूरे चातुर्य से उकेरा है दीपक जी, राधे राधे 🙏🌹🙏,

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