
एकाकी जीवन
- Deepak Kumar Vasishtha
- 02/06/2024
- काव्य
- उद्देश्य, कविता, जीवन क्या है, मुक्ति, मोक्ष
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अकेले जीना क्या होता है ?
एक बार, जो जी लिया ,
तो फिर इस माया से भरी दुनियां
और लालच से जुड़े रिश्तों में ,
आसान हो जाता है कहीं,
अपने आप को ढूंढना ,
और जान लेना स्वयं के अस्तित्व का होना ।
पहले पहल अकेलापन काटने को दौड़ता,
दूर तक भगाता, बेचैन सोने नही देता ।
अकेला इंसान करता है जब अभ्यास इसका,
सबसे पहले… उसे मिलता है , उपहार
स्वयं को जानने का,
जीवन के सत्य से होता है दूसरा…
उसका साक्षात्कार,
तीसरा… रिश्तों की आती है समझ ,
और चौथा… कौन है झूठा
जान लेता है वे पल भर में ।
आंखों के सामने पड़ा था जो परदा
और जो जमी थी धूल बुद्धि पर ,
सारी की सारी… कुछ ही दिनों में छट जाती है ।
एकाकी जीवन ही है जो…
किसी को बनाता है.. चित्रकार
कोई बनता है लेखक .. तो कोई कवि ।
अकेले रहना यूं तो मुश्किल है,
पर रहकर एकाकी जीवन…
अनजान भीड़ में भटकने से,
आसान कर देता है कहीं ज्यादा अपने विचारों
के आकाश में स्वतंत्र होकर उड़ना ।
जो माया के धंधे में हैं पड़े ,
जन्म से मृत्यु तक तुम से
कुछ न कुछ हैं मांगते ।
और देखना है कौन-कौन नहीं है तुम्हारा ,
तो ज़रा उनके एक आग्रह को ठुकराकर.. देखो ।
वे शायद मरे बाद तक भी ना याद करें तुम्हें ,
क्योंकि सामाजिक जीवन है ही स्वार्थ से भरा ।
जबकि एकाकी जीवन नहीं मांगता ,
तुम से कोई भी बलिदान ।
इसका आधार है एक ,
कि…
हम सब गिराए गए है,
माया के एक बड़े से कुंए में ।
जहां से निकलने का एक ही है रास्ता ,
और एक ही है रास्ता स्वयं को जानने का भी,
जन्म मरण क्या है ? आत्मा का आवरण क्या है ?
जो बिना एकाकी हुए… समझ पाना
मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ।
तो अकेलेपन को शाप ना समझो,
करो चिंतन-मनन और छूट जाओ
मोहमाया के इस जाल से ।
क्योंकि आए हैं अकेले और जाना भी अकेले ही हम सब को ।
– दीपक वशिष्ठ,मथुरा, उत्तरप्रदेश
One Reply to “एकाकी जीवन”
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पवनेश
एकाकी जीवन के श्वेत और श्याम दोनों पक्षों को आपने पूरे चातुर्य से उकेरा है दीपक जी, राधे राधे 🙏🌹🙏,