एक व्रक्ष तुम लगाओं
- NEERAJ MISHRA
- 2024-06-11
- काव्य
- पर्यावरण
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एक व्रक्ष तुम लगाओं
और एक मैं लगता हूँ
बरगद तुम लगाओ तो
पीपल मैं लगता हूँ
एक एक कर जब व्रक्ष लगेंगे
जंगल एक बन जाएगा
पर्यावरण प्रदूषित जो है
वह अंगे शुद्ध हो जाएगा
प्रण करलो व्रक्ष लगाने का तुम
मैं भी प्रण दोहराता हूँ
पहल करो तुम जल,भूमि,
और वायु दूषित न होने पाए
साथ समाज को ले कर चलना
मैं भी पीछे पीछे आता हूँ |
एक व्रक्ष तुम लगाओं
और एक मैं लगता हूँ
स्वरचित ,
नीरज मिश्रा “ नीर “ बरही मध्य प्रदेश
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