भारत माता के बेटों ने ऑपरेशन सिंदूर उतारा है।
नर पिशाच पाकिस्तानी खल सपनों में थर्रायेंगे,
ध्वजा तिरंगा हाथ उठाकर फिर नर सिंह दहाड़ा है।।
धर्म पूछकर जिसने मारा, धर्म दिखाकर मारा है,
भारत माता के बेटों ने ऑपरेशन सिंदूर उतारा है।
छब्बीस शव थे साथ उठाए पहलगाम में आंसू छोड़ दिए,
बेटा, भाई, पिता, पुत्र, गए नारी के मंगलसूत्र थे तोड़ दिए।
गुलपुर, कोटली, कैंप सवाई लश्कर, बरनाला तक फोड़ दिए,
मेहमूना सर्जाल, बिलाल, मुरीदके, बहावलपुर तक तोड़ दिए।।
व्यथित अचंभित क्रोधित था मन, क्रंदन मौन सुधारा है,
धर्म पूछकर जिसने मारा, धर्म दिखाकर मारा है,
भारत माता के बेटों ने ऑपरेशन सिंदूर उतारा है।
जिन पापी कदमों ने मिलकर कर्म अधर्म का छेड़ा था,
शांतिधरा के कुल आंचल में दावानल को छोड़ा था।
शौर्यधरा की शौर्य संतति उठकर जब हुंकार चली,
एक एक बूँद अश्रु का बदला, शत्रु रक्त का रेला है।।
हम असहाय नहीं दिखलाया अग्नि स्वरूप संवारा है।
धर्म पूछकर जिसने मारा, धर्म दिखाकर मारा है,
भारत माता के बेटों ने ऑपरेशन सिंदूर उतारा है।
कांपे मुनीर, रोए शाहबाज, मलिक असीम भी दुबक गया,
बिल में बैठ कुचक्र रचा जो, नाग समूचा लिपट गया।
चकलाला, सुकुकुर, पसरूर, सियालकोट, सरगोधा,
वीर भारती सेना कहकर ग्यारह एयरपोर्ट तोड़ गया।।
दंभ तुम्हारा तोड़ कुचलकर, हमने जय हिन्द पुकारा है,
धर्म पूछकर जिसने मारा, धर्म दिखाकर मारा है,
भारत माता के बेटों ने ऑपरेशन सिंदूर उतारा है।
रंगे सियार, छुपे गीदड़ों, को दलने की आज प्रतिज्ञा है,
खाल भेड़ की पहन भेड़ियों को वधने की आज्ञा है।
दाढ़ी टोपी चादर कलमा बुरका इनका नहीं विरोध कोई,
रंग मजहबी जिन आँखों पर उनकी घोर अवज्ञा है।।
साँप छुपे जो आस्तीनों में उनका जहर उतारा है।
धर्म पूछकर जिसने मारा, धर्म दिखाकर मारा है,
भारत माता के बेटों ने ऑपरेशन सिंदूर उतारा है।