“कल्प संवादकुंज – आतंकवाद – मानवता का दुश्मन”
- Kalp Samwad Kunj
- 2024-05-14
- लेख
- प्रतियोगिता
- 3 Comments
🌺 “साप्ताहिक कल्प संवादकुंज – आतंकवाद विरोध दिवस विशेष।”🌺
🌺 विषय:- “आतंकवाद – मानवता का दुश्मन।”🌺
🌺 “समयावधि:- दिनाँक १५ मई २०२४ बुधवार सायं ६.०० बजे से दिनाँक २१ मई २०२४ मंगलवार मध्य रात्रि १२.०० बजे (भारतीय समयानुसार) तक।” 🌺
🌺 “विधा – लेख (वैचारिक)” 🌺
🌺 “भाषा:- हिन्दी (देवनागरी लिपि)”🌺
🌺 *विशेष:- > आतंकवाद विरोध दिवस पर आपके सौहाद्रपूर्ण विचार सादर आमंत्रित हैं।*
*> आपके विचार कल्पकथा वेबसाइट पर दिए गए विषय के कमेंट सेक्शन में पोस्ट करने पर ही स्वीकार किए जायेंगे।🌺
🌺 टिप्पणी:- विस्तृत विवरण एवं नियमावली हेतु लिंक पर जाएं।🌺
*https://kalpkatha.com/%e0%a4%95%e0%a4%b2%e0%a5%8d%e0%a4%aa%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%95%e0%a5%81%e0%a4%82%e0%a4%9c-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%b5%e0%a4%b8/*
3 Comments to ““कल्प संवादकुंज – आतंकवाद – मानवता का दुश्मन””
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पवनेश
शीर्षक:- “आतंकवाद वैश्विक समस्या।”
राधे राधे कल्पकथा परिवार,
वर्तमान समय में आतंकवाद ऐसी समस्या है जो वैश्विक स्तर पर फैली हुई है। संभवतः ही कोई ऐसा देश हो जो इस संकट से ग्रसित नहीं है। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, रूस, फ्रांस, भारत, एशिया, अफ्रीका, पूर्व से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण, तक आतंकवाद भौगोलिक और प्राकृतिक सीमाओं से परे न सिर्फ व्याप्त है बल्कि इसकी भयावहता निरंतर बढ़ती जा रही है। दुखद किंतु सत्य यह है कि घृणा की इस अग्नि का निवाला वह सामान्य नागरिक बनता है जिसका इससे कोई लेना – देना नहीं है।
मित्रों,
वर्तमान में रूस – यूक्रेन, इजराइल – फिलिस्तीन – ईरान, जैसे कुछ राष्ट्र तो इस दावानल में प्रत्यक्ष रूप से जल रहे हैं। वहीं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग समूचा विश्व मानवता के इस शत्रु से त्रस्त है। कहने को तो यह धार्मिक उन्माद का ऐसा तूफान है जिसको धार्मिक कट्टरता से जोड़ दिया गया है लेकिन वास्तव में यह डर और व्यवसाय का ऐसा गठजोड़ है जो मानवता को रक्तरंजित करने के मूल्य पर कुछ धनकुबेरों के धनकोष में अथाह वृद्धि करता है।
साथियों,
आतंकवाद का सबसे घृणित पक्ष यह है कि इसके द्वारा पूरी की पूरी सामुदायिक संरचना के घटकों को रक्तिम मानसिकता में रंगकर उसी सामुदायिक संरचना के दूसरे पक्ष के प्रति घृणा का लावा इस तरह भर दिया जाता है कि दोनों पक्ष एक- दूसरे के हर आचार – व्यवहार को इसी उन्मादी दृष्टिकोण से देखने लगते हैं। हजारों मील दूर हुई किसी नृशंस घटना का क्षोभ अपने समीप व परिवेश में निवास करने वाले जनों पर निकालते हैं। कोढ़ में खाज वाली स्थिति तब बनती है जब देशों के शासन – प्रशासन, सत्ताधीश, इसी बीन की धुन पर नाचते हुए रक्तपात का आनन्द लेते हुए किसी निर्बल पक्ष को शिकार बनाते हैं।
बन्धुओं,
भारतवर्ष स्वतंत्रता के पूर्व से इस समस्या से जूझ रहा है। बीते दशकों में हमने मुंबई हमला, संसद भवन पर हमला, अयोध्या राम जन्म भूमि पर हमला, वाराणसी में हमला, जयपुर में हमला, समेत अनगिनत घाव राष्ट्रीय अस्मिता पर बर्दाश्त किए हैं। जहां एक तरफ जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान पोषित आतंकवाद से जूझते रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पंजाब में खालिस्तान समर्थित उग्रवाद रक्त की होली खेलता रहा है, पूर्वोत्तर में सामरिक और जातीय संघर्ष में अंचल जल रहा था, वहीं नक्सलवाद के रुप में देश के भीतर आतंक का विषधर फन उठा चुका था। वर्तमान में भले ही स्थितियां कुछ नियंत्रण में हैं किंतु रक्त पिपासु मानसिकता का यह दैत्य पुनः कब सर उठाकर गरजना शुरू कर देगा कहा नहीं जा सकता।
भगिनियों,
सामान्य जन जीवन को पूरी तरह ध्वस्त कर बच्चों, महिलाओं, युवाओं, वृद्धों, समेत सभी के समक्ष जीवन – मरण का प्रश्न खड़ा करने वाले आतंकवाद पर यदि विश्व समुदाय को वास्तव में अंकुश लगाना है तो सामूहिक एवं व्यक्तिगत रूप से सीधा प्रहार आवश्यक है। सामूहिक रूप से सभी देशों को आतंकवाद पर समूल नाश की नीति अपनाकर चलना होगा। वहीं व्यक्तिगत रूप से भी हर सामान्य जन को इस युद्व का सैनिक बनकर अपने आस- पास पोषित पल्लवित होती इस मानसिकता, गतिविधि, को अंकुरण के समय ही कुचलने में सक्रिय योगदान देना होगा।
दोस्तों,
सभी से आग्रह है कि इस दानवीय पीड़ा से राष्ट्र, समाज, को मुक्त कराने के लिए आग्रह है कि हमें मिलकर इसके निदान का उपाय करना होगा अन्यथा दिनोंदिन बढ़ते आंकड़ें सिर्फ आंकड़ें नहीं बल्कि हमारे समाज का स्याह भविष्य बनकर रह जायेंगे।
Radha Shri Sharma
राधे राधे कल्प परिवार
आतंकवाद :मानवता का शत्रु, विषय पर आते हैं तो जाने कितने भयावह दृश्य आँखों के सामने तैर जाते हैं। कभी मुंबई ट्रेन सीरियल ब्लास्ट तो कभी होटल ताज एवं सी एस टी हमला, कभी सोते हुए सैनिकों के सिर काट कर ले जाना तो कभी स्थान स्थान पर घुसपैठ! आतंकवाद न केवल मानवता का शत्रु है अपितु ये समाज में व्याप्त ऐसा कोढ है जिसका उपाय नितांत आवश्यक है। इसके लिए सभी को अपने कमरे कस कर तैयार होना पडेगा। हमें सभी को ये निर्धारित करना होगा कि किसी भी असामाजिक तत्व को अपना कमरा किराये पर न दें। साथ ही सभी को अपने अपने हृदयों में राष्ट्रप्रेम की लौ जगानी होगी। हमें ये याद रखना होगा कि इस स्वतंत्रता के लिए हमने अपने कितने ही नौनिहालों को बलि चढा दिया। कितने ही विदूषक एवं विदुषियों को स्वयं अपनी चिता तैयार करते देखा है। इतनी विभीषिका के बाद जब स्वतंत्रता मिली तो हम सबने बंटवारे का दंश झेला। वो भी सम्भवतः पर्याप्त नहीं था कि कभी आतंकवाद तो कभी पडोसी देशों द्वारा सीधा आक्रमण…..! परीणाम स्वरूप हम पिछड़ते चले गए।
ये आतंकवाद हमारी संस्कृति को नष्ट करने का भीषण षड्यंत्र है। अतः देश के नागरिकों सतर्क हो जाओ और सभी अपने अपने पास कोई न कोई अस्त्र अवश्य रखो। जरूरी नहीं कि आप हर समय तलवार या बंदूक ही लेकर निकलो। किन्तु हाँ कुछ ऐसा अवश्य आपके पास होना चाहिए जिससे समय आने पर आप स्वयं की रक्षा कर सकें। अब ये स्वतंत्रता हमारा सुप्रीम कोर्ट भी देता है।
राधे राधे 🙏 🌷 🙏
✍🏻राधा श्री शर्मा
Sumita Gahlyan
आतंकवाद – मानवता का दुश्मन
आज के समय की सबसे बड़ी समस्या आतंकवाद मानी जा रही है। आतंकवाद की भावना को मानवता के लिए खतरा माना गया है। चारों तरफ आतंकवाद अपने पैर पसार रहा है ।आतंकवाद की भावना के कारण मानव- मानव का बैरी बनता जा रहा है।लेकिन क्या है यह आतंकवाद, क्यों फैलता है,कौन फैलाता है यह प्रश्न हमारे जहन में बार-बार उठता है। आतंकवाद की भावना प्रबल होती जा रही है – इसका क्या कारण है?
आतंक का अर्थ होता है – डर,भय
जब मनुष्य के मन में डर जगह बना लेता है वह आतंक है वह डर किसी के लिए भी हो सकता है ।डर अपने लिए हो सकता है, परिवार के लिए, समाज के लिए, तथा देश के लिए जो भी हमारा प्रिय है उसे खोने का डर ही आतंक है। यदि कोई हमें नुकसान पहुंचाता है ,हमारे देश को नुकसान पहुंचाता है वह आतंक है। हमारे अन्दर आतंक पैदा करता है खोने का इसलिए यह समस्या बढ़ती जा रही है।
आतंकवाद को खत्म करने के लिए हमें अपने डर पर काबू पाना होगा ।जो आतंकवादी होते है वे भी इंसान ही है लेकिन उन्हें पता होता है कि अब इन लोगों के मन में डर है तो वे उसका फायदा उठाते हैं और वे वही करते हैं हमारे साथ मिलकर रहते हैं, हमारी खुशीयों में शामिल होते हैं, और हमारे साथ विश्वासघात करते हैं जिससे हम डर जाते हैं और उनकी शक्ति बढ़ जाती है जो आतंक का रूप ले लेती हे।
यदि आतंकवाद बढ़ता रहा तो मानवता खत्म हो जाएगी । मानवता को बचाना है तो आतंक को खत्म करना होगा । सभी देशवासी साथ मिलकर इस समस्या पर विजय प्राप्त करें ।
डॉ सुमिता गाहल्याण