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“कल्प संवादकुंज – मातृ शक्ति विशेष

🌺 “साप्ताहिक कल्प संवादकुंज – मातृ दिवस विशेष।” 🌺

 

🌺 विषय:- “माँ – धरती पर परमात्मा।” 🌺

 

🌺 “समयावधि:- दिनाँक ०८ मई २०२४ बुधवार सायं ६.०० बजे से दिनाँक १४ मई २०२४ मंगलवार मध्य रात्रि १२.०० बजे (भारतीय समयानुसार) तक।” 🌺

 

🌺 “भाषा:- हिन्दी (देवनागरी लिपि)”🌺

 

🌺 विशेष:- > मातृ- शक्ति के सम्मान में आपके सौहाद्रपूर्ण विचार सादर आमंत्रित हैं।

> आपके विचार कल्पकथा वेबसाइट पर दिए गए विषय के कमेंट सेक्शन में पोस्ट करने पर ही स्वीकार किए जायेंगे।🌺 

 

🌺 > निर्धारित विषय पर विचार पोस्ट करने के लिए लिंक पर जाएं। 🌺

https://kalpkatha.com/%f0%9f%8c%ba-%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%be%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%95-%e0%a4%95%e0%a4%b2%e0%a5%8d%e0%a4%aa-%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%a6%e0%a4%95%e0%a5%81/

 

🌺 टिप्पणी:- विस्तृत विवरण एवं नियमावली हेतु लिंक पर जाएं। 🌺

*https://kalpkatha.com/%e0%a4%95%e0%a4%b2%e0%a5%8d%e0%a4%aa%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%a6-%e0%a4%95%e0%a5%81%e0%a4%82%e0%a4%9c-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%b5%e0%a4%b8/*

Kalp Samwad Kunj

3 Comments to ““कल्प संवादकुंज – मातृ शक्ति विशेष”

  • पवनेश

    “मां – धरती पर परमात्मा, मैं इस वाक्य से निश्चित रूप से सहमत हूं क्योंकि एक मां ही है जो अपनी संतान को निस्वार्थ रुप से न सिर्फ जन्म देती हैं बल्कि आजीवन वैसा ही प्रेम करती है जैसा अपने गर्भ में शिशु के आने पर करती है।
    मां के लिए क्या कहूं जब विधाता ने स्वयं मां को सबसे ऊपर रखा है शायद इसीलिए प्राणी के जीवन के समाप्त होने के कई अन्य साधन है जबकि जीवन दाई सिर्फ मां होती है।
    ब्रह्मण्ड की सम्पूर्ण मातृ शक्ति को कोटि कोटि प्रणाम। 🙏🌹🙏

  • Binny Chaurasia

    मातृ शक्ति विषेश
    मॉ धरती पर परमात्मा
    पृथ्वी व सृष्टि की सबसे सुंदर रचना है मॉ
    धरती पर मॉ का दूसरा रूप निराला
    प्रकृति ने ये कैसा खेल रच डाला
    नौ महीने जिसने गर्भ मे पाला
    पैदा किया और लोरियाॅ गाया
    धडकन दी और साॅसे भी दी
    ऊॅगली पकड़कर चलना सिखाया
    नाजो नखरे कर सिर पर बिठाया
    ऑचल से छिपाकर मुझको है पाला
    तोतली बोली को शब्द दे डाला
    कभी डराया कभी प्यार किया
    हर शैतानियो को दिल से माफ किया
    मॉ की ममता का ऑचल है प्यारा
    धरती पर परमात्मा का सृजन कर डाला
    ऑखो मे सुनहरे ख्वाब सजाया
    नेक राह पर चलना सब कुछ सिखाया
    कुछ बन कर दिखाना ये स्वप्न सजाया
    कठिन कांटो की राह मे फूल बिछाया
    हर परिस्थिति मे मुस्कुराकर लड़ना सिखाया
    कामयाबी के लिए मन्दिर,मस्जिद,चर्च,गुरूद्वारा के चक्कर लगाती
    अपने लिए वो खाली हाथ आती
    अपनी तकलीफ को हँसकर टाल जाती
    देश प्रेम करना भी है समझाती
    बड़ो की इज्जत आदर संस्कार का पाठ पढ़ाती
    मॉ ज्ञान का भण्डार है ये जानता हूॅ
    मॉ आत्मा है मॉ परमाता है मॉ जीवन है
    मॉ आन बान और घर की शान है
    मॉ के चरणो मे जन्नत है
    मॉ भाग्य विधाता है
    मॉ मॉ है
    मॉ जैसा कोई नही
    मॉ धरती पर परमात्मा का सुंदर सृजन है
    मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻🙏🏻
    स्वरचित मौलिक कविता
    बिन्नी चौरसिया
    अयोध्या

  • Radha Shri Sharma

    माँ – एक शब्द मात्र नहीं है, ये एक ऐसी दुनियाँ है जहां आपकी लगभग हर समस्या का समाधान होता है। माँ धरती पर प्रेम और त्याग की मूरत है। लाड दुलार स्नेह अनुराग का अथाह महासागर है। माँ की महिमा का बखान करना सहस्त्र मुख्य से भी सम्भव नहीं है। केवल दो शब्द कह सकते हैं – माँ को प्रणाम 🙏 🌷 🙏
    राधे राधे 🙏 🌷 🙏

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