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!!”कल्प सृजन प्रवाह प्रतियोगिता”!!

प्रतियोगिता आमंत्रण क्रमांक :-

कल्प/अक्तूबर/२०२४/क१/प्रथमा

!! “कल्प सृजन प्रवाह प्रतियोगिता “!!

!! अश्विन मास शारदीय नवरात्र विशेष!!

विषय: मां शैलपुत्री 

शीर्षक: मां शैलपुत्री की आराधना 

 

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः||

पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरूप में साक्षात शैलपुत्री की पूजा देवी के मंडपों में पहले नवरात्र के दिन होती है। शैलपुत्री अपने अस्त्र त्रिशूल की भांति हमारे त्रीलक्ष्य (धर्म, अर्थ और मोक्ष) के साथ मनुष्य के मूलाधार चक्र पर सक्रिय बल है।

मूलाधार में पूर्व जन्मों के कर्म और समस्त अच्छे-बुरे अनुभव संचित रहते हैं। यह चक्र कर्म सिद्धांत के अनुसार यह चक्र प्राणी का प्रारब्ध निर्धारित करता है, जो अनुत्रिक के आधार में स्थित तंत्र और योग साधना की चक्र व्यवस्था का प्रथम चक्र है। यही चक्र पशु और मनुष्य के बीच में लकीर खींचता है। यह मानव के अचेतन मन  से जुड़ा है। इस चक्र का सांकेतिक प्रतीक चार दल का कमल अंतःकरण यानी मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार द्योतक हैं।

शैलपुत्री नंदी बैल पर सवार संपूर्ण हिमालय पर विराजमान है। यह वृषभ वाहन शिव का ही स्वरूप है। घोर तपस्चर्या करने वाली शैलपुत्री समस्त वन्य जीव जंतुओं की रक्षक भी है। शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल जो धर्म, अर्थ और मोक्ष के द्वारा संतुलन का प्रतीक है, शैलपुत्री के लक्ष्य को स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित करता है। बाएं हाथ में सुशोभित कमल-पुष्प कीचड़ यानी स्थूल जगत में रहकर उससे परे रहने का संकेत देता है। मनुष्य में प्रभु की अपार शक्ति समाहित है और शैलपुत्री उसका व्यक्त संकेत हैं। देह में यह शक्ति इस चक्र के आवरण में अपनी सक्रिय भूमिका का निर्वहन कर रही है।

शैलपुत्री की आराधना से मन और मस्तिष्क का विकास होने लगता है। अंतर्मन में उमंग और आनंद व्याप्त हो जाता है। इनका जागरण न होने से मनुष्य विषय-वासनाओं में लिप्त होकर सुस्त, स्वार्थी, आत्मकेंद्रित होकर थका-थका सा दिखाई देता है। शैलपुत्री मनुष्य के कायाकल्प के द्वारा सशक्त और परमहंस बनाने का प्रथम सूत्र है। स्वयं में ध्यान-भजन के द्वारा इनकी तलाश देह में काम को संतुलित करके बाहर से चट्टान की शक्ति प्रदान करती है। मानसिक स्थिरता देती है।

अंकिता श्रीवास्तव 

 

Ankita Shrivastava

One Reply to “!!”कल्प सृजन प्रवाह प्रतियोगिता”!!”

  • RK

    राधे राधे अंकिता जी,
    कल्प सृजन प्रवाह प्रतियोगिता में सहभागिता हेतु आपके द्वारा कल्पकथा वेबसाइट पर प्रकाशित लेख रुचिकर एवं तथ्यपूर्ण हैं
    यहां पर एक बिंदु की तरफ आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं जो संभवतः किसी कारण से आपसे छूट गया है।
    कल्प सृजन प्रवाह प्रतियोगिता में सिर्फ काव्य रचनाएँ स्वीकृत की जाती हैं।
    आग्रह है निर्धारित विषय पर काव्य रचनाओं के साथ सहभागिता करें।
    किसी और संवाद हेतु 8570086924 पर व्हाट्सएप करें।
    सादर
    🙏🌹🙏

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