
!! “कविता” !!
- Radha Shri Sharma
- 21/03/2024
- कवित्त
- मुक्तक
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🌷 *!! “कविता” !!* 🌷
कवित्त बन बहती रही, छंद नदी रसधार में ।
भाव रस से पगी हुई हिय स्पन्दन संसार में।।
कवित्त मुक्तक छंद क्षणिका निर्बाध सरित बह चली।
लयबद्ध और लयमुक्त कहीं, कहीं छंदमुक्त है पली।
लहर लहर उछली तरंग छंदयुक्त मधुसार में।
भाव रस से पगी हुई हिय स्पन्दन संसार में।।
दोहों सम रसना सनी चौपाई चासनी चढी।
बही मनहरण घणाक्षरी सी विधाता मनु लहर बढी।
मत्तगयंद बह चले सभी सवैयों की बयार में।
भाव रस से पगी हुई हिय स्पन्दन संसार में।।
रोला सोरठा उल्टे मुडे, कुंडलियां ले संग में। प्रदीप तभी छन छन छनका नर्तक बन हर अंग में।
श्लेष रूपक यमक उपमा अलंकरण गलहार में।
भाव रस से पगी हुई हिय स्पन्दन संसार में।।
भक्ति रस निर्झर गिरी, कल कल कल प्रेम रस बही।
उछाल उठी विरह सी पीर रस रोम रोम रमी।
उमडे प्रचंड आवेग ले, वीर रस रसधार में।
भाव रस से पगी हुई हिय स्पन्दन संसार में।
कवित्त बन बहती रही, छंद नदी रसधार में ।
भाव रस से पगी हुई हिय स्पन्दन संसार में।।
✍🏻 *राधा श्री शर्मा*
One Reply to “!! “कविता” !!”
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पवनेश
कवित्त,
कविता के मूल भावों को अभिव्यक्त करता आनंददायक सृजन, राधे राधे 🙏