गणतंत्र की अमर गाथा
छब्बीस जनवरी दिव्य दिवस, भारत का शौर्य महान।
संविधान के सूरज से जग में फैला नव विहान॥
था स्वराज का स्वप्न सजीव, जो संकल्पों से ढल गया।
भीमराव के दृढ़ तप से यह भारत का भूषण बन गया॥
दो वर्ष, ग्यारह मास, अठारह दिन का सधा विधान।
विश्व-सर्वाधिक लंबा यह है भारत का संविधान॥
शब्दों में बंधा लोकतंत्र यह, है अनुपम इसका गीत।
न्याय, समानता, धर्मनिरपेक्षता का साकार प्रजीत॥
आओ मिलकर पर्व मनाएं, करें तिरंगे का गान।
वीरों के बलिदान को नमन करें वंदन से महान॥
संविधान की प्रस्तावना भारत की है पहचान।
धर्म, जाति के भेद मिटाकर रचे नवल अभियान॥
धर्मनिरपेक्ष दीप जलाकर, मिटा दिए सब भेद।
संघात्मक ढांचे ने जोड़े सब धर्म, वर्ण, विभेद॥
अधिकारों का पाठ पढ़ाकर सिखलाया यह ज्ञान।
लोकतंत्र का मर्म रचा गया जन-जन का सम्मान॥
कर्तव्य पथ पर लगे सलामी, करतल ध्वनि हो शौर्य दिखे।
संस्कृति, साहस, की झांकी देखे मन उत्सव में आन टिके॥
तिरंगे को नमन करे हम, दसों दिशाओं गूंजे राष्ट्रगान।
हर भारतवासी गौरवान्वित, बल भर उठता स्वाभिमान॥
वीरों का पराक्रम गूंजे, पर्वत, मरूथल, कानन पर।
अंधियारों के सघन द्वंद से गाथा उनकी वीर अमर॥
सेना के हर वीर हृदय में रचता बसता सच्चा भारत भाव।
भारत मां का गौरव बनते, दिव्य देशप्रेम का भरते चाव॥
लोकतंत्र की ध्वजा तरंगें, ऊंचा रहे सदा अभिमान।
संविधान के आदर्शों को हर दिल देता है सम्मान॥
शिक्षा का दीप जले हर आंगन, फैले घर घर में उजियारा।
गणतंत्र दिवस पर हर जीवन में उल्लासित हो हर्ष हमारा॥
हर झांकी में झलके भारत की अनुपम विविधता।
संस्कृति की हर छवि छूती है मन में नव ममता॥
गंगा, यमुना, हिमगिरी, तिरंगा प्यारा लगता है।
यह गणतंत्र दिवस हमें सदा अनमोल दिखता है॥
संविधान के पृष्ठ-पृष्ठ में, भारत का इतिहास।
वीरों की गाथाएं दिखतीं, जिनमें हो विश्वास॥
भगत, सुभाष, चंद्रशेखर, सबके सपने सजीव।
संविधान की प्रस्तावना बने जन-जन की प्रीत॥
नूतन संकल्पों से यह पर्व हमें सिखलाता है।
देशभक्ति की ज्वाला हर दिल में प्रज्वलित करता है॥
सेना, संविधान, किसान हैं भारत की भक्ति।
इनके बल पर चलता भारत अनुपम शक्ति॥
विश्व-भूमि में फैल रहा अब भारतीयता का रूप।
गणतंत्र दिवस का संदेशा फैला हर धूप स्वरूप॥
विदेशों में भी इस दिन हमारा तिरंगा लहराता।
प्रवासी जन का भी मन भारत-माता में रम जाता॥
यह पर्व नहीं, यह भारत मां का गौरव-अभिमान।
संविधान का दीप सजा यह सबसे बड़ा विधान॥
आओ गाएं अमर गाथा, गणतंत्र दिवस मनाएं।
भारत मां के चरणों में हम श्रद्धा-सुमन चढ़ाएं॥
संविधान, गणतंत्र दिवस का सदा रहे सम्मान।
तिरंगा सदा ऊंचा लहराए, भारत का गुणगान॥
संविधान के आदर्शों का हर मानव करे विचार।
यह भारत की गाथा अमर, शाश्वत हो संसार॥
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