
जख्म
- Mukesh Duhan
- 13/01/2024
- काव्य
- कविता
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जख्म
#जख्म
दिल के सब जख्म हरे हुए हैं,
अपने जब से अपने हुए हैं।
नैना जल से भरे हुए हैं,
सपनें जब से सपने हुए हैं।
सब कहते हैं पागल मुझको,
पर लगता है सब पागल हुए हैं।
मैंने खुद को पा लिया है खुद में
बस तब से,
जब से तेरे सपने अपने हुए हैं।
मंजिल नजर आने लगी है पास – पास,
कदम तुम्हारे जब से संग हुए हैं……..
दिल के सब जख्म…..
मुकेश दुहन “मुकू”