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जय ज्वाला देवी मईया

मात भवानी, ज्वाला मईया, भक्तन की हितकारी,

कृपा करो मां, दया करो मां, हम संतान तिहारी, मईया हम संतान तिहारी।

मात भवानी, ज्वाला मईया . . . . . . 

ज्वाला जी मां, चिन्तापूर्णी, चंडी माता, मात शाकंभरी, विंध्यवासिनी माई, 

नयना देवी, मनसा देवी, भद्रकाली मां, मात कालका न्यारी।

नौ ज्योति में, नौ रूपों में, अतुलित छटा सुखारी, मईया अतुलित छटा सुखारी।

मात भवानी, ज्वाला मईया . . . . . . 

 

01) सती हुई मां दक्ष यज्ञ में, शिव द्रोही जब शिव से हो गए न्यारे,

करें ताण्डव भोले बाबा, क्रोध शोक कर धारे।

मात देह हाथन में रखकर प्रलय सकल कर डारी,

करे देह के अंश इक्यावन, विष्णु जी ने चक्र सुदर्शन बारे।।

जिव्हा ज्योति रूप में आ गई, संकट नाशन हारी, मईया संकट नाशन हारी।

मात भवानी, ज्वाला मईया . . . . . . 

 

02) आदि योगी, सिद्ध संत, गुरु श्री गोरखनाथ की बानी,

मैया क्षुधा उदर में बढ़ रही, करो कृपा महारानी।

हम भिक्षा लेवें को जा रए, आप ज्योत प्रकटाओ,

माता लौ में आन विराजी, निश दिन देखें बाट भवानी।

कलियुग की आहट से सतयुग तक कारज विस्तारी, मईया सतयुग तक कारज विस्तारी।

मात भवानी, ज्वाला मईया . . . . . . 

 

03) गोरख डिब्बी मंदिर अद्भुद, कुण्ड उष्ण जल शीतल,

मईया की महिमा से ही तो पाण्डव पाए स्थल।

प्रकृति के आंगन में माता सुख वैभव ले आईं,

भीमचंद राजा ने जनहित में बनवाया देवी तल।।

फूले फले सकल जन जीवन सुखी हुए नर नारी, मईया सुखी हुए नर नारी। 

मात भवानी, ज्वाला मईया . . . . . . 

 

04) बदला समय विधान विधि का मुश्किल घड़ियां आईं,

प्रकृति के आंगन में विपदा की दस्तक घिर छाई।

धर्म ध्वजा का नाश ठानकर शत्रु विधर्मी आया,

अरु माता की ज्योति बुझाने डर की हांक लगाई।।

ज्वाला माता की शोभा से छल की सेना हारी मईया छल की सेना हारी।

मात भवानी, ज्वाला मईया . . . . . . 

 

05) शत्रु रूप में जो भी आता वह पागल हो जाता,

अंधा बहरा काना लूला लंगड़ा चल नहीं पाता।

माता की भक्ति में ध्यानु भगत बने सैनानी,

अश्व, पुत्र, के शीश जोड़कर संकट हरती माता।।

शील सभ्यता की आपद में रक्त सिंधु था भारी, मईया रक्त सिंधु था भारी

मात भवानी, ज्वाला मईया . . . . . . 

 

06) बंद किए स्त्रोत ज्योत के पत्थर भर – भर डारे, 

लोह तवे से चिनवा डाला, धरम झुकावन हारे।

हाथी पानी डार टूट गए, नहर मोड मिलवा दी,

ज्यों ज्यों जल ज्योति से मिलवे बढ़ गई ज्योत सखा रे।।

पावक लील गई उनके घर, हानि की जिसने करी तैयारी मईया जिसने करी तैयारी।

मात भवानी, ज्वाला मईया . . . . . . 

 

07) अहंकार भर क्रूर मुगल ने पाप जोड़ बंधवाए,

जब फटकार परी माता की दांतन त्रुणा दबाए।

नाक रगड़ के क्षमा मांगने स्वर्ण क्षत्र पठवाए,

विकट मार के क्षत्र पलट गए धातु कही न जाए।।

राजा संसार चंद्र अरु रणजीत के पुण्य हुए बलिहारी मईया पुण्य हुए बलिहारी।

मात भवानी, ज्वाला मईया . . . . . .

पवनेश

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