
“जय महावीर हनुमान”
मारुतात्मज महावीर बल, वज्रकाय चिरंजीव।
रक्षोविध्वंसकारक तुम, भवभय हारन जीव।।
रामदूत बलसिद्धिकर, कपीश्वर कपिसेनानायक।
लक्ष्मणप्राणदात्रे वीर, परमन्त्र निपुणायक।।
सर्वबन्धविमोक्त्रे शिव, योगी दृढव्रता महान।
कालनेमि प्रमथन चिर, रामनाम लवित प्राण।।
गन्धमादन शैलस्थित, लंकापुर विदायक बलशाली।
रामचूड़ामणि प्रदायक, भक्तवत्सल हरिहाली।।
वज्रनखा, वज्रद्रनुष्ट, दशबाहु, महातपस्वी।
सिंहिकाप्राणभञ्जन, चतुर्भुज श्रीरूप रसभी।।
सेवक सीताराम पद, अशोकवनकाच्छेत्र नायक।
रामसुग्रीवसंधात्रे, अञ्जनागर्भसम्भव शायक।।
महाबल पराक्रमी तुम, सुरार्चित पावन तेजस्वी।
इन्द्रजित विनाशक तुम, महाकाय दिव्य गौरवष्मी।।
कामरूपिणे वीर तुम, सीतान्वेषण पण्डित प्रज्ञ।
अक्षहन्त्रे रणधीर, विभीषण प्रियधर्मपथ गण्य।।
सर्वरोगहरा तात, सर्वविद्या सम्पत्तिप्रदायक।
मनोजवाय, पारिजातवासी, भक्तह्रदय अभिप्रायक।।
दीनबन्धु नवव्याकृत ज्ञ, रामचरण सेवा रति।
शृंखला मोचक पुण्यश्री, कंचनाभ रूप ज्योति।।
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