Dark

Auto

Light

Dark

Auto

Light

images (1)

नव विक्रम संवत् – २०८२

सौरभ लुटाय वासंतिक, ऋतु बसंत सुहाय।

मंगल घट स्थापना कर, महिमा अमिट बनाय।।

 

युग के आदि सतयुग में, धर्म प्रबल प्रतिष्ठित।

सत्य सुधा पय पीवते, नर-नारी संतुष्टित।।

 

राम राज्य सम त्रेता में, रघुवर सिंह विराजे।

मणि मुकुट तन पीतपट, रूप अनूप सुहाजे।।

 

युधिष्ठिर सुरराज्य में, धर्म सूर्य उदिताय।

राजसूर्य यज्ञ कर, सिद्धि अमर प्रतिष्ठाय।।

 

पंच सहस्त्र युगाब्दि, मनुज काल गुन गावत।

पुण्य पुंज नव वर्ष शुभ, सकल जगत वरावत।।

 

कलि तम अंत करे शशि, अरुण प्रकाश विलासे।

मंगल मंत्र प्रवाहित, शुभ स्वस्ति पुनि रासे।।

 

नव रथ सूर्य विराजे, नव कान्ति दीप विस्तारे।

शशि रवि ज्योति विलसित, भू पर सुख रस धारे।।

 

नव संकल्प अनुगामी, सृजन प्रेम संजोवत।

भक्ति भाव प्रसारित, सत्य धर्म रथ जोवत।।

 

नव विधि धर्म प्रकाशित, नव चेतना परागे।

सप्तसिंधु सुख साधक, मंगल मन अनुरागे।।

 

जय भवानी व्रत धारक, भक्त चरण वन्दाय।

मंगलमय जगदंबिका, वरदान पुनि पाय।।

 

माँ जगदम्बा वंदना, घट घट शक्ति विराजे।

चैत्र नवरात्रि साधना, मन में तेज सुसाजे।।

 

रामराज्य की भावना, पुनि मन रूप सँवारे।

धर्म सृष्टि में गूंजता, नव संकल्प हमारे।।

 

राजसूर्य यज्ञ सिद्धि, युग परिवर्तन गाए।

शुद्ध चेतना दीपकर, नव संवत्सर आए।।

 

कलि तम अंत विनाशक, सत्य प्रकाश परागे।

धर्म, योग, शुभ प्रेम से, सुखद वर्ष अनुरागे।।

 

विक्रम संवत् आगमन, मंगल ज्योति जलाय।

नव आशा नव चेतना, नव अरुणोदय छाय।।

पवनेश

Leave A Comment