नारी – विशिष्ट आमंत्रण क्रमांक :– !! “कल्प/सितंबर/२०२५/स” !!
- Milan Upadhyay
- 15/09/2025
- काव्य
- काव्य, नारी, नारी जीवन
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नारी सृजन की शक्ति है
नारी ही सृजन करती है
तेरी,मेरी, सबकी दुनिया नारी से ही तो बनती है
नारी के रुप अनेकों हैं वो जननी, तो कभी भगिनी है
नारी सुख-दुख की साथी है वो कभी तो जीवन-संगी है
वो कभी तो पुत्रवधू बनकर परिवार का पोषण करती है
वो नारी ही कल्याणी है परिवार का मंगल करती है
वो जब बेटी बनकरके घर-आंगन को पावन करती है
वो तो दो-दो परिवारों को सुख-समृद्धि से भरती है
नारी ही वो गुलाब है जो जीवन को खुशबु देती है
तब भी ये दुनिया उसे सदा कांटों का रस्ता देती है
नारी को जो अपने दिल में सच्चा सम्मान नहीं रखता
वो सच पूछो तो खुदको जीने का अधिकार नहीं रखता ।
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