पुराने लम्हों में सिमटी जिंदगी मेरी
- NEERAJ MISHRA
- 2024-05-14
- गजल
- #गजल #लम्हे
- 2 Comments
अर्ज किया है :-
की याद नहीं मुझको , तेरी बेबफई का वो वक्त |
जिस वक्त तूने मुझे, बर्बाद करने में कोई कसर न छोड़ी |
पुराने लम्हों में सिमटी जिंदगी मेरी
नया कुछ अब याद नहीं रहता ||
बदलते वक्त के साथ मैं नहीं बदला
इश्क की तड़फ में खुद को जला डाला
बदल गए जो उन्हे कुछ याद नहीं रहता |
पुराने लम्हों में सिमटी जिंदगी मेरी
नया कुछ अब याद नहीं रहता ||
है कहानी पुरानी मेरे जहन में
अश्क आँखों से आए उसे सुनने में
ये दिल-ऐ-दुश्मन तेरा अक्स याद नहीं रहता ||
पुराने लम्हों में सिमटी जिंदगी मेरी
नया कुछ अब याद नहीं रहता ||
नीरज मिश्रा “ नीर “ बरही कटनी मध्य प्रदेश
2 Comments to “पुराने लम्हों में सिमटी जिंदगी मेरी”
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पवनेश
नया अब कुछ याद नहीं रहता।
खूब लिखा है आपने नीरज जी 🙏🌹🙏
NEERAJ MISHRA
आभार आदरणीय