प्रेमचंद भारतीय साहित्य के गौरव
- Swati Shrivastava
- 2024-07-31
- लेख
- प्रतियोगिता: प्रेमचंद
- 2 Comments
विशिष्ट आमंत्रण क्रमांक :कल्प/जुलाई/२०२४/क
विषय: “!! कथा सम्राट मुन्शी प्रेमचंद !!”
शीर्षक: प्रेमचंद : भारतीय साहित्य के गौरव
“मुंशी प्रेमचंद” भारतीय साहित्य का वह नाम है जिसे परिचय की आवश्यकता नहीं है । अपने युग को उसकी पूरी वास्तविकता के साथ चित्रित करने वाले रचनाकार है प्रेमचंद। एक सामान्य भारतीय जीवन का परिदृश्य पूरी सच्चाई से उनकी रचनाओ मे प्रतिबिम्बित होता है । उनकी कहानियों और उपन्यासों के पात्र यथार्थ से घुलमिल कर स्वयं को और अपने रचनाकार को अमर कर गए हैं। होरी, निर्मला, सूरदास आदि भारतीय जनजीवन के सटीक प्रतिनिधि है।
समसामयिक दृष्टि से देखा जाए तो प्रेमचंद का साहित्य परिपूर्ण हैं l उसमे राष्ट्रीय चेतना भी है, कुरीतियों का विरोध भी हैं, अंधविश्वास के दुष्परिणाम भी है , जातीय असमानता पर कड़ी चोट है, और नारी जागरण की गूँज भी। अपने युग की सामाजिक राजनीतिक परिस्थितियों को बहुत ही सूक्ष्मता से उन्होंने चित्रित किया है ।
प्रेमचंद की आदर्शवादिता सदैव आलोचना के केंद्र मे रही। गोदान की रचना तक वे स्वयं भी आदर्श को छोड़ यथार्थ के कटु धरातल पर आ गए थे, परंतु आलोचना समालोचना से परे एक सामान्य पाठक के लिए उनकी यही आदर्शवादी रचनाएं बहुत महत्व रखती है । उनका उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की विजय को दिखाना था । वे लड़ रहे थे, समाज के शोषित तबके के लिये, बंधनों और कुरीतियों में जकड़ी नारी जाति के लिए , गुलाम राष्ट्र मे सत्ता के हथकंडों से त्रस्त भारतीय जीवन के लिये। वे जनजागृति के लिये प्रयत्नशील थे। अपनी कलम के माध्यम से स्वाधीनता संग्राम और सामाजिक सुधार मे उनका योगदान अभूतपूर्व है।
आज प्रेमचंद जी की जयंती है । उनका थोड़ा बहुत जीवन परिचय तो शायद सभी ने अपनी स्कूली शिक्षा के समय पढ़ा होगा, पर जब उनके जीवन मे बारे मे जब विस्तार से पढ़ेंगे तो जानेंगे कि इतना बड़ा व प्रतिभावान लेखक अपने व्यक्तिगत जीवन मे कितना सरल व सहज रहा है। विभिन्न पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते हुये भी अपने विचारों के द्वारा प्रेमचंद क्रांति का शंखनाद करते रहें है। जातिवाद, अंधविश्वास, साम्प्रदायिकता, अन्य सामाजिक बुराइयों आदि के प्रति वे साहित्य के माध्यम से तीव्र विरोध दर्ज करते है। अपनी रचनाओं में उन्होने विधवा विवाह का पुरजोर समर्थन किया और स्वयं भी एक विधवा से ही विवाह किया। 1906 के समय मे उठाया गया यह कदम उनकी वैचारिक दृढ़ता का परिचायक हैं। सामाजिक सरोकारों से संबद्ध क्रान्तिकारिता और दूरदर्शिता प्रेमचंद की पहचान है। इसके साथ ही उनकी रचनाएं मानवीय भावनाओं और संवेदना से ओतप्रोत हैं । ” ईदगाह ” पढ़कर देखिए, अंत तक आते आते आंसुओं की झड़ी
लग जाती हैं।
प्रेमचंद ने भारतीय जीवन के मर्म को छुआ है। उनकी रचनाओं के संदेश आज भी प्रासंगिक हैं। उन्हें समझने और आत्मसात करने की आवश्यकता है। भारतीय साहित्य के गौरव व कलम के जादूगर आदरणीय प्रेमचंद जी को कोटि कोटि नमन।
– स्वाति श्रीवास्तव
भोपाल
2 Comments to “प्रेमचंद भारतीय साहित्य के गौरव”
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पवनेश
राधे राधे स्वाति जी,
कल्पकथा आमंत्रण प्रतियोगिता में आपका हार्दिक अभिनंदन, प्रतियोगिता निर्णायक मंडल ने आपके लेख को विशेष लेखन हेतु चयनित किया है। आग्रह है 8570086924 पर कॉल अथवा व्हाट्सएप कर संपर्क करें। सादर 🙏🌹🙏
Swati Shrivastava
राधे राधे
लेख चयन तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏🙏