
भक्ति रस धारा
- Radha Shri Sharma
- 11/01/2024
- काव्य
- भक्ति रस
- 1 Comment
गुरु वंदना
प्रथम नमन गुरुदेव को जो सकल विघ्न छुडाय,
बुद्धि को बौद्धिक कर सन्मार्ग की राह दिखाय।
मन के चक्षु खोल कर ज्ञान का दीप जलाय,
जीव ब्रह्म को एक कर बद्ध मुक्त कर जाय।।
गणेश वंदना
हे गजानन! हे विघ्न हरण! हे पार्वती नन्दन!
सकल सुमन्गल शुभदायक, करते तेरा वंदन।
आन विराजो नाथ तुम सह रिद्धि-सिद्धि शुभ लाभ
सन्मार्ग प्रशस्त करो, हरो बाधा सकल जहान।।
तेरी कृपा के हम याचक, तुम हो सदा शुभ कर्ता,
सब कारज सिद्ध हो हमारे, कृपा करो जग भर्ता।
नमन स्वीकारो नाथ तुम सुनो विनती सुख धाम।
तुम्हरी कृपा से सफल हों हमारे सगरे काम।।
सरस्वती वंदना
मात सरस्वती! वीणावादिनी! हे शारदे! हे वर दायिनी!
आवाहन है मात तुम्हारा हों विराजित निज आसन।।
कृपा करो हम पर माँ दो यही वरदान
लेखनी हमारी सफल हो मिले जो तुम्हरा आशीर्वाद।।
विद्या बुद्धि की तुम दायक हो, सुर संगीत परिचायक हो।
सद्बुद्धि सन्मार्ग की सदा ही सबको शुभ दायक हो।
हमारा मार्ग प्रशस्त करो माँ, हर राह प्रकाशमान हो।
नतमस्तक हो करते तेरा वंदन सुन्दर सकल जहान हो।
लेकर चले मनसा सुन्दर जग की, हमारी सिद्धि साधक हो
तेरी कृपादृष्टि रहे जो हम पर कोई न विघ्न कभी बाधक हो।
करुणामयी तू दयामयी है, हम सच्चे तेरे बालक हों।
हमारे पथ की सुपथा, सब शुभ कर्मों की शुभ संचालक हो।
मनसा श्रेष्ठ सकल जहान की लेकर आये तेरे द्वार।
निज भवन इसे ही स्वीकारो, सम्हालो सगरे काज।
अल्पमति हम परम मूढमति, तुम शुभता शुभ सार।
विद्या, बुद्धि, ज्ञान मति देकर करो हमारा उद्धार।।
One Reply to “भक्ति रस धारा”
Leave A Comment
You must be logged in to post a comment.
पवनेश
जय श्री गणेश 🙏