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भारत-गौरवगान आल्हा छंद

🌺 भारत-गौरवगान आल्हा छंद 🌺

 

सज रह्यो ध्वजा तिरंगा फहरायो, आन बान बलिदान कहाय।

जग में भारत-भूमि अनूपम, धर्म-दीप जा में उजियाय।।

 

गीता उपनिषदों की वाणी, गूंज रही अरुणा गुंजार।

योग, ध्यान, सन्यास परंपरा, ज्ञान-गंगा अमृत स्वीकार।।

 

रामकथा की पावन गाथा, कृष्ण-मुरारी बंसीधार।

शिव-शंकर के ज्योतिर्लिंग है, मातृभूमि पे गर्व अपार।

 

चन्द्रगुप्त आल्हा  ऊदल विक्रम,  छत्रसाल से वीर प्रताप।

बली मराठा भगवा झंडा, छत्रपति शिवाजी सो अमिताभ।।

 

गुरु गोविंद सिंह बलिदानी, सिंह हरि सिंह जैसे धीर।

लक्ष्मीबाई, वीर भगत सिंह, दुर्गावती सी वीर प्रवीर।।

 

पुष्कर, काशी, कांची धामन, स्थापत्य को अद्भुत रूप।

कोणार्क, खजुराहो कलाएं, हैं सजीव जे मूर्ति स्वरूप।।

 

मीनाक्षी, तंजावुर, मंदिर अद्भुत शिल्प की अनुपम शान।

अवधपुरी सोमनाथ द्वारका, मथुरा देखत ठगो जहान।।

 

विज्ञानन नित उन्नत भारत, रचयो गर्व से मंगलयान।

चंद्रयान अरु तेजस उड्डन, देखो विश्व-गगन मुस्कान।।

 

डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, दिखलाये नित नये सामर्थ्य।

औषधि, उपचार, नवल चिकित्सा, भारत से होता उत्कर्ष।।

 

खेल-कूद में पदक चमक रए, भारत भूमि की ललकार।

क्रिकेट, कुश्ती, हॉकी-टेनिस, भलाफेंक में जय-जयकार।।

 

परमार्थी है कृषक धुरंधर, सींच पसीना भूख मिटाए।

उद्योगन की नयी क्रांति नित, श्रम की गाथा के गुनगाय।। 

 

गंगा-जमुना सरस संस्कृति, बह रही धार अनूप सुहाय।

रंग बिरंगी भाषा-बानी, जा सैं जोड़त जन समुदाय।।

 

साहित्य की धरा है अनुपम, तुलसी सूर कबीर बहाय।

प्रेमचंद अरु भारतेंदु की, कलम लिखे जो अमर कहाए।।

 

संत महाप्रभु चैतन्य जी, नानक भक्ति सुधा बरसाय।

कृष्णा मीरा दया सहजो भक्तिन, प्रेम गगन छू आय।।

 

सैनिक भारत-सीमा रखत हैं, नभ जैसी ऊंची दीवार।

सिंदूर – कारगिल जीत गूँज्यो, रणवीरन की जय जयकार।।

 

अग्नि-मिसाइल, ब्रह्मोस-शक्ति, क्षमता दिखला दई अपार।

परमाणु-बल, नौसेना वायु सेना बल, नभ जल भूमि रक्षाकार।।

 

लोकतंत्र की जननी भारत, जिसकी छटा है अपरंपार।।

स्वर्णिम भारत-गाथा गावत, विश्व देख रहो गटा उखार।

 

शिक्षालय अरु गुरुकुल-भावन, नित नई दिशा रहे दिखलाए।

शोधालयन में भारतवंशी, विज्ञान ज्योति रहे जलाय।

 

एक तिरंगा, एक ध्येय संग, एक भाव ले उर में धार।

हम सब भारत-भक्त सपूत हैं, करत नित्य विकास प्रचार।

 

वंदे मातरम्, जय भवानी, भारत माता गौरव-गान।

जन-गण-मन अधिनायक की जय, जय-जय जय हो हिन्दुस्तान।।

पवनेश

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