मनभावन सावन
- Dr PANKAJ KUMAR BARMAN
- 01/08/2025
- काव्य
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🌿 सावन मनभावन – 🌿
1. मेघा गरजें बिजली चमके, मनवा का सुख बढ़ जाए रे।
2. हरियाली से भू धर सजती, झूला झूले लुभाए रे॥
3. कोयल बोले आम्र तरु ऊपर, बृज की छवि मुस्काए रे।
4. सखियाँ संग सजन के सपने, मन मृग झट हरषाए रे॥
5. नदियाँ लहरें नाचे झूमें, वर्षा जल सुख लाए रे।
6. थिरकें धरती, फूले कलियाँ, हर शाख़ा मुस्काए रे॥
7. नीम तले सखियाँ संग तीजा, गीतों में रस छाए रे।
8. पायल बोले नयन हँसें, मन मोहन सुधि आए रे॥
9. ग्वाल-बाल संग कान्हा रासें, वृंदा वन रस गाए रे।
10. बंसी सुन गोकुल की छोरी, नैन नचाए जाए रे॥
11. भीगी चुनर राधा नाचे, बरखा-रंग लुटाए रे।
12. सावन की फुहार सुहानी, मन का मेल मिटाए रे॥
13. मिट्टी की सौंधी महकन, तन-मन को महकाए रे।
14. घर-आँगन में दीप जले, मन दीपक झिलमिलाए रे॥
15. सजन विरह में झरते आँसू, घट-घट पीर समाए रे।
16. फिर भी सावन मोद मनाए, राम-सिया गुण गाए रे॥
17. कृषक नाचे, खेतों में हरियाली मुस्काए रे।
18. शिव मंदिर में भक्तों की, बम-बम ध्वनि गूंजाए रे॥
19. नील कंठ पर जल चढ़ता, श्रावण रस लहराए रे
20. सावन मनभावन बनकर, मधुर मिलन करवाए रे॥
डॉ पंकज कुमार बर्मन,कटनी,मध्यप्रदेश
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