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मातरम्

*शिवालयों से शंखनाद हुआ है गुरुवाणी गुरुद्वारे से ।*
*कानों ने अजान सुनी फिर गूंज उठा हर चौबारे से ।।*
*मातरम्, मातरम्, वंदे मातरम्, वंदे मातरम् ।।*

तोड़ पुरानी जंजीरों को आज नया इतिहास लिखें,
गर्म लहू की धाराओं से राष्ट्रभूमि का श्रृंगार करें ।
मिट्टी से उपजे मिट्टी को ही बलिहार करें,
देश की खातिर मिट जाने का कर ले तू आचरण ।।

*मातरम् मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम् ।।*

ये मिट्टी है बलिदान की किसान और जवान की,
तन को आज रंगा कर इसमें सर ऊंचा अभिमान करें ।
मिट्टी के कण कण से उठते देशप्रेम का गुणगान करें,
बच्चा बच्चा देशभक्ति का ओढ़े अब आवरण ।।

*मातरम् मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम् ।।*

सूर्यपाल नामदेव “चंचल”

Suryapal Namdev

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