मेरा स्वास्थ्य मेरा अधिकार
- shalini Mishra
- 2024-04-05
- अन्य
- @वैदेही #drshalinimishra
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मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार (आलेख)
डा० शालिनी मिश्रा
एम० ए०हिंदी (गोल्ड मेडलिस्ट)
एम० बी० ए०, पी०एच०डी०
राजस्थान की विधानसभा ने अभी पिछले वर्ष ही 21 मार्च २०२३ को अपने नागरिकों को स्वास्थ्य अधिकार प्रदान करने के लिए राजस्थान स्वास्थ्य अधिकार अधिनियम (आर० टी० एच० ) पारित किया बिल राज्य के सभी व्यक्तियों को स्वास्थ्य का अधिकार और स्वास्थ्य केंद्रों की सुविधाएं प्रदान करता है। इसमें राज्य के निवासियों को किसी भी क्लिनिकल इस्टैबलिशमेंट में मुफ्त स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना शामिल है।
इस विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ निमंलिखित है :
- सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों तथा चुनिंदा निजी सुविधाओं में नियमों में निर्दिष्ट शर्तों के अधीन परामर्श, दवाएँ, निदान, आपातकालीन परिवहन, प्रक्रिया और आपातकालीन देखभाल सहित मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जाएंगी।
- विधेयक में अस्पतालों के लिये यह अनिवार्य किया गया है कि वे आपातकालीन मामलों में मेडिको-लीगल औपचारिकताओं की प्रतीक्षा किये बिना उपचार प्रदान करें और बिना धनराशि लिये दवाएँ और परिवहन सुविधाएँ दें।
- राज्य और जिला स्तर पर स्वास्थ्य प्राधिकरणों को स्थापित किया जाएगा। ये निकाय उत्तम क्वालिटी वाली स्वास्थ्य सेवाओंकी व्यवस्था तैयार, उन्हें लागू और उनका निरीक्षण करेंगे और स्वास्थ्य से संबंधित सार्वजनिक आपात स्थितियों का प्रबंधन करेंगे।
हालाँकि इसके कार्यान्वयन में कई जटिलताएं हैं जिनका विश्लेषण इस विधेयक में नहीं किया गया है जैसे मुफ्त स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए निजी स्वास्थ्य केंद्रों को प्रतिपूर्ति का कोई प्रावधान नहीं है। इससे इन स्वास्थ्य केंद्रों को चलाना व्यावहारिक नहीं होगा, और यह संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (जी) का उल्लंघन हो सकता है। एवं स्वास्थ्य के अधिकार को लागू करने से राज्य का वित्तीय दायित्व बढ़ सकता है। बिल में इस अतिरिक्त लागत के लिए प्रावधान नहीं है।
आइये समझते हैं स्वास्थ्य क्या है ?
“पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया” इस कहावत से लगभग हम सभी परिचित हैं कि हमारे पूर्वजों ने स्वास्थ्य को धन से अधिक महत्त्व दिया है | आपका स्वास्थ्य आपके जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ों में से एक है इसीलिए अपने स्वास्थ्य के बारे में सक्रिय रहना और बीमारी तथा बीमारी को रोकने के लिए कदम उठाना बहुत महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य के प्रति सक्रिय रहने का अर्थ है बीमार पड़ने से पहले अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाना।
स्वास्थ्य दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है ‘स्व’ अर्थात मैं या मेरा और ‘स्थ’ अर्थात स्थिर या स्थिरता अभिप्राय है कि मेरी स्थिरता की स्थिति| कहें कि जिसमें व्यक्ति सामाजिक,मानसिक एवं शारिरिक रूप से स्थिर हैं |
आयुर्वेद के अनुसार स्वास्थ्य पूर्ण शारिरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक एवं आध्यात्मिक कल्याण की स्थिति है न कि केवल बीमारी व दुर्बलता की अनुपस्थिति |
अंग्रेजी में स्वास्थ्य (हेल्थ) शब्द पुराने अंग्रेजी शब्द ‘हेले’ से लिया गया है | जिसका अर्थ है ‘संपूर्णता’| सम्पूर्ण होना अर्थात स्वस्थ होना | समय के साथ इस अर्थ में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा विस्तार किया गया एवं इसे शारिरिक आरोग्य (Physical Health) एवं मानसिक आरोग्य (Mental Health) के अंतर्गत परिभाषित किया गया|
स्वास्थ्य का अधिकार क्या है ?
स्वास्थ्य का अधिकार स्वास्थ्य के सबसे प्राप्य स्तरों को संदर्भित करता है और इसका तात्पर्य यह है कि हर इंसान इसका हकदार है।
स्वास्थ्य के अधिकार की शुरुआत वर्ष 1946 में हुई थी, जब पहला अंतर्राष्ट्रीय संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अस्तित्त्व में आया था, जिसने स्वास्थ्य शर्तों को मानव अधिकारों के रूप में तैयार किया था।
भारत में भले ही स्वास्थ्य के अधिकार को मौलिक अधिकार नहीं माना जाता हो, परंतु भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 की उदार व्याख्या करें, तो कोई भी स्वास्थ्य के अधिकार को अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की गारंटी देता है। स्वास्थ्य का अधिकार गरिमायुक्त जीवन के अधिकार में निहित है।
स्वास्थ्य, हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण आयाम होता है यह हमारे शारिरिक, मानसिक, सामाजिक रूप से समग्र विकास का बुनियादी ढांचा प्रस्तुत करता है स्वास्थ्य का मतलब बस बीमार नहीं होना नहीं होता, बल्कि यह विभिन्न पहलुओं का सम्मिलित होता है जो हमारे जीवन को सुखमय और सफल बनाते हैं।
भारत में स्वास्थ्य के अधिकार से जुड़ी चुनौतियाँ:
- स्वास्थ्य देखभाल के अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे:
- हाल में हुए सुधारों के बावजूद भारत का स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढाँचा अपर्याप्त है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
- भारत में प्रति 1,000 लोगों पर बेड की संख्या 4 है, 1,445 लोगों पर 1 डॉक्टर है और 1,000 लोगों पर नर्सों की संख्या 1.7 है। 75% से अधिक हेल्थकेयर अवसंरचना मेट्रो शहरों में केंद्रित है, जहाँकुल आबादी का केवल 27% हिस्सा रहता है, बाकी 73% भारतीय आबादी में बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं का भी अभाव है।
- रोगों का बढ़ता बोझ:
- भारत मेंतपेदिक,एड्स,मलेरिया और मधुमेह सहित संचारी एवं गैर-संचारी रोगों की भरमार है।
- इन रोगों को दूर करने के लिये स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढाँचे एवं संसाधनों में और अधिक निवेश करने की आवश्यकता है।
- लैंगिक असमानताएँ:
- भारत में महिलाओं को स्वास्थ्य असमानताओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें स्वास्थ्य सेवा तक सीमित पहुँच, मातृ मृत्यु की उच्च दर और लिंग आधारित हिंसा शामिल है।
- सीमित स्वास्थ्य निधियन:
- भारत की स्वास्थ्य निधियन प्रणाली सीमित है, स्वास्थ्य सेवा पर सार्वजनिक खर्च का स्तर कम है। यह स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढाँचे और संसाधनों में निवेश करने की सरकार की क्षमता को सीमित करता है तथा व्यक्तियों के लिये अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवाओं का प्रमुख कारण बन सकता है।
- भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023 में सकल घरेलू उत्पाद का 1% स्वास्थ्य सेवा पर खर्च किया।यह निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) के सकल घरेलू उत्पाद के औसत स्वास्थ्य व्यय अंश- लगभग 5.2% से बहुत कम है।
आवश्यकता है –
- भारत कोचिकित्सा सुविधाओं, उपकरणों और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों सहित स्वास्थ्य देखभाल के महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे एवं संसाधनों में अपने निवेश को बढ़ाने की आवश्यकता है। इस लक्ष्य को स्वास्थ्य सेवा पर सार्वजनिक व्यय में वृद्धि और निजी क्षेत्र के निवेश में वृद्धि के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
- स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में सुधार के लियेभारत को उन बाधाओं को दूर करने की ज़रूरत है जो व्यक्तियों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचने से रोकती हैं, जिसमें वित्तीय बाधाएँ, परिवहन और भेदभाव शामिल हैं।
- यह लक्षित नीतियों और कार्यक्रमों, जैसे- स्वास्थ्य बीमा योजनाओं तथा मोबाइल स्वास्थ्य देखभाल इकाइयों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
- बीमारी की निगरानी, प्रमुख गैर-स्वास्थ्य विभागों की नीतियों के स्वास्थ्य प्रभाव पर सूचना एकत्र करने, राष्ट्रीय स्वास्थ्य आँकड़ों के रखरखाव, सार्वजनिक स्वास्थ्य नियमों को लागू करने और सूचना का प्रसार जैसे कार्यों को करने के लिये एकनामित तथा स्वायत्त एजेंसी बनाने की आवश्यकता है।
WHO के वर्तमान महानिदेशक टेड्रोस एड्नोम घेब्रेयेसस ने सन 2017में मानवाधिकार दिवस 10 दिसंबर को कई ,महत्वपूर्ण फैसले लिए जिनमें से कुछ प्रमुख के हिंदी अनुवाद यहाँ उद्धृत करने आवश्यक हैं
- “स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्य मानक का आनंद जाति, धर्म, राजनीतिक विश्वास, आर्थिक या सामाजिक स्थिति के भेदभाव के बिना प्रत्येक मनुष्य के मौलिक अधिकारों में से एक है”।
- किसी को भी सिर्फ इसलिए बीमार नहीं होना चाहिए और मरना नहीं चाहिए क्योंकि वह गरीब है, या इसलिए कि उसे अपनी ज़रूरत की स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पाती हैं।
- अच्छा स्वास्थ्य स्पष्ट रूप से अन्य बुनियादी मानवाधिकारों द्वारा भी निर्धारित होता है जिसमें सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता, पौष्टिक भोजन, पर्याप्त आवास, शिक्षा और सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों तक पहुंच शामिल है।
- हर किसी को निजता का अधिकार है और सम्मान और सम्मान के साथ व्यवहार करने का अधिकार है। बिना सूचित सहमति के किसी को भी चिकित्सा प्रयोग, जबरन चिकित्सा परीक्षण या उपचार नहीं दिया जाना चाहिए।
- मैं सभी देशों से अपने कानूनों, अपनी स्वास्थ्य नीतियों और कार्यक्रमों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में मानवाधिकारों का सम्मान और सुरक्षा करने का आह्वान करता हूं। हम सभी को असमानताओं और भेदभावपूर्ण प्रथाओं का मुकाबला करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए ताकि हर कोई अच्छे स्वास्थ्य का लाभ उठा सके, चाहे उनकी उम्र, लिंग, जाति, धर्म, स्वास्थ्य स्थिति, विकलांगता, यौन अभिविन्यास, लिंग पहचान या प्रवासन स्थिति कुछ भी हो।
हम अपने स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखें
यह शरीर हमारा है अतः सबसे पहले इसे यदि कोई स्वस्थ रख सकता है तो वह केवल हम स्वयं है| इसके लिए हमें कुछ आहार,व्यवहार, एवं दिनचर्या का ध्यान रखना होगा | कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निचे दिए जा रहे हैं जो अच्छे स्वास्थ्य में सहायक सिद्ध हो सकते है –
- अपने शरीर को जंक फूड से न भरें एक संतुलित आहार हीस्वस्थ जीवन की ओर पहला कदम है। …
- पर्याप्त पानी पिए
- अच्छी नींद लें
- नियमित रूप से व्यायाम,ध्यान व स्वच्छ हवा में प्राड़ायाम करें
- स्वस्थ वजन बनाए रखें
- ज़िंदगी में तनाव को जगह न दें …
- समय समय पर डॉक्टर के पास जाएं
- शराब का सेवन न करेंएवं तम्बाकू से दूर रहें
- एक हॉबी ज़रूर ढूंढ़ें, यह आपके मानसिक स्वस्थ के लिए बेहतर है
- साथ ही अपने दातो की देखभाल न भूलें |
- कुछ समय शांति में बिताएं
चलिए साथ मिलकर बढ़ें एक अच्छे स्वास्थ्य की ओर ….
2 Comments to “मेरा स्वास्थ्य मेरा अधिकार”
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Priya Priya
Data analytics bhut hi achhe h aur pura article pdh kar bhut se nye facts k bare m knowledge mili ….thank you Shalini g for such a informative article on health!
Kalpkatha
उपयोगी एवं सुखद जानकारी