रक्षा बंधन
- Suryapal Namdev
- 08/08/2025
- काव्य
- रक्षाबंधन
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बहन करे भाई का अभिनंदन
भाई हो जब नतमस्तक वंदन
रिश्तों की बगिया में प्रेमपुष्प खिल जाते
कसमें वादे रक्षा प्रेम के रक्षाबंधन कहलाते
बहना ने आशाओं में भाई के सपने गढ़े हैं
बहना की रक्षा खातिर भाई हर मुश्किल से लड़े है
बहन मां और भाई कभी बाप बन जाते
कसमें वादे रक्षा प्रेम के रक्षाबंधन कहलाते
ऋतु चार महीने बारह बहना को रहता इंतजार
खर्चे काट पाई जोड़कर भाई संजोता प्रेम उपहार
रक्षासूत्र और मंगल आरती त्यौहार बन जाते
कसमें वादे रक्षा प्रेम के रक्षाबंधन कहलाते
सूर्यपाल नामदेव “चंचल”
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