
“समर्थ गुरू रामदास”
- पवनेश
- 19/02/2024
- काव्य
- "समर्थ गुरू रामदास की जय।"
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दासबोध, मनोबोध, पंचीकरण, बाग प्रकरण, मानपंचक आत्माराम, के सृजन स्वास थे।
वह समर्थ गुरू रामदास थे। वह समर्थ स्वामी रामदास थे।
भक्तिमार्गी सिद्ध संत, राजनीति युद्ध – संधि, अद्वैत वेदांत, के सुख प्रभास थे।
आरतियां स्त्रोतम, प्रेम भक्ति ओज नमन, स्फूट अभंग ओवी छंद, के हृदय प्रकाश थे।
वह समर्थ गुरू रामदास थे। वह समर्थ स्वामी रामदास थे।
दासबोध, मनोबोध . . . . . . . . .
वह समर्थ गुरू रामदास थे। वह समर्थ स्वामी रामदास थे।
01) देशस्थ ऋग्वेदी, जनचिंतक मर्मभेदी, सदगृहस्थ संवेदी, रानूबाई सूर्याजी की मन प्रार्थना में।
जांब ग्राम जालना में, सूर्य की उपासना में, नारायण जन्में रामनवमी की पावना में।
जमदग्नि गोत्र प्रबल, रामभक्त मन मंगल, हनुमत के योग सबल, धैर्य ध्यान साधना में।
करुणाष्टक चतुर्थमान, शुभमगंल सावधान, सुन कर गए प्रयाण, ईश की आराधना में।
पांच घर का भिक्षाटन, पंक्षियों को दे भोजन, करते ग्रहण प्रसाद थे।
वह समर्थ गुरू रामदास थे। वह समर्थ स्वामी रामदास थे।
दासबोध, मनोबोध . . . . . . . . .
वह समर्थ गुरू रामदास थे। वह समर्थ स्वामी रामदास थे।
02) राम उनके दर्शन में, राम उनके कीर्तन में, राम की कृपा का ध्यानकर,
राम उनके तनमन में, राम उनके जीवन में, राम को अभीष्ट मानकर।
राम छवि राम रवि, राम यज्ञ राम हवि, राम दिव्यदृष्टि जानकर,
राम रूद्र राम ब्रह्म, राम शक्ति राम मंत्र, राम ही ब्रह्मांड प्राणकर।
द्वादश वर्ष समयमान, त्रिदश कोटि नाम ध्यान, राम उनके शुभ प्रकाश थे।
वह समर्थ गुरू रामदास थे। वह समर्थ स्वामी रामदास थे।
दासबोध, मनोबोध . . . . . . . . .
वह समर्थ गुरू रामदास थे। वह समर्थ स्वामी रामदास थे।
03) वह शिवा के गुरुपालक, लोकहित के संवाहक, ज्योतिपुंज एकता के भाव के,
एकादशशतम मठस्थान, भारतभ्रमण पुण्यमान, राष्ट्रसंघ दिव्यता प्रभाव के।
परतंत्रता कलंक है, स्वतन्त्रता शुभंक है, मातृभूमि श्रेष्ठ स्वर्ग के से,
भक्तिमार्ग कर्मयोग, मातृशक्ति धर्मयोग, शुभ सूर्य वह स्वराज्य के।
सेवा के सूत्रधार, करुणा के कंठसार, वह स्वयं प्रताप थे।
वह समर्थ गुरू रामदास थे। वह समर्थ स्वामी रामदास थे।
दासबोध, मनोबोध . . . . . . . . .
वह समर्थ गुरू रामदास थे। वह समर्थ स्वामी रामदास थे।
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