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Pratilipi_1734542592184 (1)

सरदार वल्लभ भाई पटेल

 

 

वीर वल्लभ सरदार भारत भूषण कहे,
शक्ति-संगठन में जो अद्वितीय वीर रहे।
जन्मधरा गुजरात, पिता झवेरभाई,
लाडली थी मां लाड़बा स्नेह-गही सहे।।

सत्य-निष्ठा से पूर्ण सरल थे बाल्यकाल,
शिक्षा हेतु हुआ कठिन साधन सवाल।
विद्या की ज्योत से चमका उनका भाल,
लंदन में पढ़ाई से पाया वकील हाल।।

अधिवक्ता थे श्रेष्ठ, यश फैला चारों ओर,
किन्तु सेवा भाव से जुड़े गांधी के जोड़।
देशप्रेम जागा देखी परतंत्रता की छाया,
सत्य-अहिंसा पथ से रचा गौरव-बेजोड़।।

खेड़ा सत्याग्रह से गूंजी उनकी आवाज,
बारडोली संघर्ष बना अद्भुत साज।
रियासतों को जोड़ा, एकता का मंत्र,
भारत के हृदय में बसाए अमिट राज।।

राजाओं से कहे, “नहीं अब परतंत्रता,”
सत्ता छोड़, अपना लो भारत की स्वतंत्रता।
देश की अखंडता के दृढ़ प्रहरी बने,
“लौहपुरुष” की शान से टूटी षडयंत्रता।।

नेहरू संग मिलकर देश का किया नवनिर्माण,
किन्तु मतभेद भी छुप न सके उस काल।
गांधी के प्रिय शिष्य, नीति-सिद्ध पुरुष,
न्यायप्रियता में वह विराट वट विशाल।।

राष्ट्र ने सरदार को दिया आदर महान,
सम्मानित कर, माना उनको सत्यप्रधान।
पंद्रह दिसंबर का वो शोकभरा दिन,
उन्होंने त्यागी देह किया स्वर्ग प्रस्थान।।

आज भी अमर है उनका ये त्यागमय नाम,
भारत के पथ पर जो दिखाए सदा कर्मधाम।
एकता की मूरत, अखंड भारत की जान,
सरदार पटेल को नमन, वंदन, प्रणाम।।

पवनेश

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