
“साइबर क्राइम समस्या और बचाव”
- पवनेश
- 10/06/2025
- काव्य
- क्राइबर क्राइम
- 0 Comments
प्रथम मनाऊं गणनायक को गुरु चरणन में शीश नवाए।
मात शारदे किरपा करियों देवी देवता लेऊं मनाएं।।
जब से चलो है डिजिटल युग, संग संग जुड़ गयो नओ बबाल,
छल को भयो विस्तार घनेरो, छाओ घोर प्रपंच को जाल।।
एक क्लिक की चाल में छिप गयो, फर्जी लिंक बड़ो जंजाल।
भोले-भाले मानुष फँस रहे, ठग कर रहे बड़ो कोटाल।।
फिशिंग मेल जे रोज़ भेज रहे, दिखा बैंक को मुखड़ा लाल।
एक क्लिक में लूट ले गए, जीवन भर की पूंजी माल।।
मैलवेयर के विषदंतों ने डाटा निजी निगल लओ राम।
वायरस बनकर घुस गया भीतर, हटी सुरक्षा भयो कोहराम।।
रैंसमवेयर की कथा निराली डर को तांडव होय प्रचंड।
बंदी बना फाइलें बोलें, पैसा देओ फिर छोड़े संग।।
स्टॉकिंग करके हाय रे, कुटिल कुचाली को अपराध।
पीछा करते हर क्षण हर पल, जैसे पीछा करता व्याध।।
क्रेडिट कार्ड के जाल बिछे हैं, शातिर व्यापारी बन आएं।
फर्जी करें खरीद इकठ्ठी, बना भिखारी सच में जाएं।।
सोशल मीडिया जाल सरीखो, सर सर चलें व्यंग्य के बाण,
साइबर बुली चढ़ा के चेहरा, पीवे लगें मनुज के प्राण।।
ई-कॉमर्स में फंदा डालें, लोभ दिखा टपकावें लार।
नकली ऐप्स बनाकर धन की, चुपचाप हो जाएं फरार।।
मीठी मीठी बातें करके प्रेम जाल को लगा निशान।
भावुक जन को सहज फँसाते, और लूट लेते सम्मान।।
ज्ञान न हो जब नेट विधा का, तब हो जाए संकट भारी।
जो मनुष्य सतर्क न होवे, तो लुटती उनकी घरद्वारी।।
सोशल मीडिया खुली तिजोरी, बातें निजी न लिखिए जान।
क्या खाते हो, कहाँ रहते हो, चर्चा कभी न कर अनजान।।
पासवर्ड को कठिन बनाओ, लगा सुरक्षा दो स्तर की।
तभी बचेगा डिजिटल जीवन, तभी बचेगी पूंजी घर की।।
सरकारी पोर्टल सो कहवें, बात सुनत हैं कान लगाए।
धोखा हो गयो फिर भी भैया 1930 पर कॉल लगाएं।।
OTP को गुप्त रखो सब, बात नहीं जा कहत की मान।
फोन घुमाकर नाम बैंक का, लूटे खाते बैंक कुज़ान।।
पब्लिक वाई-फाई से न करना, लेनदेन कोई जो लो जान।
लीक हो जै है सबल सुरक्षा, बातें जानत सकल जहान।।
साइबर सेल में करें शिकायत, कोई करले अगर शिकार।
कानून को साथ हमें है, मिलत सुरक्षा संग सरकार।।
स्कूलन में शिक्षा दियों जा, बच्चन को डिजिटल संस्कार।
बच्चे समझें कथा नेट की, बच है संकट विकट अपार।।
सी ई आई आर टी आई एन, चौदह सी दे रहे सहयोग।
तकनीकी में करें तपस्या, तभी मिटे यह भारी रोग।।
जागरूकता एक मंत्र है, सजग बने हर एक सुजान।
तभी सुरक्षित राष्ट्र हो अपना, यही सजगता की पहचान।।
नकली भावुकता से बचना, बुद्धि विवेक से रखना ध्यान।
तभी बचेगा जन धन अपना तभी बचे सबका सम्मान।।
होवे जय जागरूक जन की, जो प्रहरी बन करते सुविचार।
साइबर अपराधी न जीतेगा, होगी छल प्रपंच की हार।।
Leave A Comment
You must be logged in to post a comment.