
!! “साप्ताहिक आमंत्रण – कल्प/सितम्बर/2024/अ” !!
- Kalpkatha
- 02/09/2024
- लेख
- प्रतियोगिता
- 1 Comment
✍🏻 !! “साप्ताहिक आमंत्रण – कल्प/सितम्बर/२०२४/अ” !! ✍🏻
विशिष्ट आमंत्रण क्रमांक :– कल्प/सितम्बर/२०२४/अ
विषय :- !! “प्रेम के उपासक” !!
समयावधि :- दिनाँक ०२/०९/२०२४ प्रातः ८.०० बजे से ०६/०९/२०२४ रात्रि १०.०० बजे तक
विधा :- काव्य, लेख, कहानी
भाषा – हिन्दी, संस्कृत
विषय विशेष :- प्रेम रस से सराबोर रचनाओं का अभिनंदन है।
!! “आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं” !!
कल्प कथा के नियम :-
✍🏻 कल्प आमंत्रण प्रतियोगिता में रचना भेजते समय रचना में ऊपर आमंत्रण क्रमांक, विषय एव शीर्षक और नीचे लेखक/लेखिका का नाम होना आवश्यक है। उसके बिना रचनाएं सम्मिलित नहीं की जायेंगी।
✍🏻 कल्पकथा वेबसाइट पर रचना प्रतियोगिता श्रेणी के अंतर्गत लिखने पर प्रति प्रतियोगिता प्रमाणपत्र एवं मासिक विशेष सम्मान दिया जाएगा।
✍🏻 साप्ताहिक आमंत्रण में सभी प्रमाणपत्र श्रेष्ठ, उत्तम और सहभागिता रूप में तीन प्रकार के रहेंगे।
✍🏻 मासभर सभी आमन्त्रणों में प्रतिभाग करने पर श्रेष्ठ, किन्ही तीन में प्रतिभाग करने पर उत्तम और दो में प्रतिभाग करने पर सहभागिता प्रमाणपत्र रहेगा।
✍🏻 साप्ताहिक आमंत्रण में विविध विधाओं में लिखने वाले लेखकों को “कल्प कलम श्री” सम्मान से सम्मानित किया जायेगा।
✍🏻 दैनिक आमंत्रण में आई रचनाओं के सभी श्रेष्ठ रचनाकारों को “कल्प विधा श्री” सम्मान से सम्मानित किया जायेगा।
✍🏻 कल्पकथा की ऑनलाइन काव्य गोष्ठियों में प्रतिभागियों को “कल्प काव्य श्री” सम्मान से सम्मानित किया जायेगा।
✍🏻 आपकी सभी रचनाएं स्वरचित एवं मौलिक होनी चाहिए। किसी भी प्रकार के कॉपीराइट इशू के लिए लेखक स्वयं जिम्मेदार होगा।
✍🏻 कल्पकथा पर किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत, सामुहिक या राजनैतिक प्रचार-प्रसार पूर्णतः प्रतिबंधित है।
✍🏻 यदि आप कल्पकथा संदेशों से इतर कोई व्यक्तिगत, राजनैतिक या सामुहिक विज्ञापन करना चाहते हैं तो आप संस्थापक निर्देशक या संस्थापक निदेशक कोषाध्यक्ष को इसका शुल्क जमा करवा कर प्रचार-प्रसार कर सकते हैं।
✍🏻 यदि आप बिना अनुमति लिये किसी भी प्रकार का राजनैतिक, व्यक्तिगत या सामुहिक लिंक, पोस्ट या फिर कोई चित्र/चलचित्र आदि डालते हैं तो आप पर तुरंत 25000/- रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा, जो संस्था नियमों के अनुसार अवश्य ही देय होगा।
- ✍🏻 लिखते रहिये, 📖 पढते रहिये और 🚶बढ़ते रहिये।
✍🏻 कल्प आमंत्रण अध्यक्ष
कल्पकथा परिवार
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पवनेश
🌺 “!! प्रेम की उपासक – मीराबाई !!” 🌺
चेतक भूमि में जन्मी मीरा, राजमहल की रानी थी।
बचपन में ही कृष्ण से जुड़ी, प्रेम की वह दीवानी थी।।
गहनों से खेली राजमहल में, पर कृष्ण नाम में मन रमना था।
बाल्यकाल में ही उसने, प्रभु का नाम जपना था।।
बंसी की धुन सुनते ही मीरा, प्रेम रस में डूबी जाती थी।
कृष्ण की छवि मन में बसी, भक्ति रस में बह जाती थी।
नित्य दिन उसके मन में, श्रीकृष्ण का वास था।
संसारिक बंधनों से मुक्त, श्रीकृष्ण पर विश्वास था।।
राणा से बंधी मीरा, पर मन तो कृष्ण का दीवाना था।
राजमहल के बंधनों में भी, उन्हें कृष्ण का ही ठिकाना था।।
ससुराल में कठिनाईयों का, मीरा ने सामना किया।
पर सदा ही मुरलीधर के, नाम को अपना लिया।।।
कृष्ण प्रेम की साधिका मीरा, मन मंदिर में कान्हा थे।
सांसारिक मोह से दूर, राधा के पथ पर जाना थे।
रात-दिन उनके नाम की रट, मन में बसा गोकुल रसमय।
मीरा के हर श्वास में बस, प्रभु की मधुर बंसी की लय।
मंदिर में दीप जलाया मीरा, प्रेम की लौ में जलती रही।
भक्ति के रस में डूबी ऐसी, सुध-बुध खो पिघलती रही।।
हर आंसू, हर प्रार्थना, श्री कृष्ण के चरणों में अर्पित।
आत्मा का मिलन हुआ जब, मीरा का मन था हर्षित।
राजमहल छोड़, बनवास लिया, गोपाल नाम का आधार।
मीरा की भक्ति ने दिखाया, सच्चा प्रेम है एक पवित्र विचार।
दुनिया से बेपरवाह होकर, गिरधर को अपना मीत किया।
मीरा की भक्ति अनमोल रही, सतयुग सी पावन प्रिया।।
जहर का प्याला भी भेजा, मीरा की भक्ति को तोड़ने।
विष को भी अमृत बना प्रेम की लौ में लगी जोड़ने।।
मीराबाई की भक्ति ने, हर मुश्किल को पार किया।
सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर, श्रीधर की शरण ली।।
अंत समय में मीराबाई, केशव धुन में लीन हो गई।
प्रेम की गहराईयों में, अक्षिता बन समा गई।।
दुनिया ने दीवानी कहा, पर मीरा ने माधव को पाया।
भक्ति के इस अमर पथ पर, मीरा को मोहन ने अपनाया।।