!! “साप्ताहिक प्रतियोगिता :- अक्षय तृतीया” !!
- Kalpkatha
- 2024-05-06
- लेख
- प्रतियोगिता
- 3 Comments
✍🏻 *!! “साप्ताहिक प्रतियोगिता, कल्पकथा” !!* ✍🏻
*विषय :- “!! अक्षय तृतीया !!”*
*समयावधि :- दिनाँक ०६/०५/२०२४ से १०/०५/२०२४ रात्रि दस बजे तक*
*विधा :- काव्य, कहानी, लेख*
*भाषा – हिन्दी, संस्कृत*
*विशेष :-* अक्षय तृतीया बैसाख माह का एक विशेष उत्सव है। ये प्रत्येक अंचल में अलग तरह से मनाया जाता है। अपने अंचल की विधि साँझा करें।
*आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं*
*कल्प कथा के नियम :-*
✍🏻 कल्पकथा वेबसाइट पर रचना प्रतियोगिता श्रेणी के अंतर्गत लिखने पर प्रति प्रतियोगिता प्रमाणपत्र एवं मासिक विशेष सम्मान दिया जाएगा।
✍🏻 साप्ताहिक प्रतियोगिता में सभी प्रमाणपत्र श्रेष्ठ, उत्तम और सहभागिता रूप में तीन प्रकार के रहेंगे।
✍🏻 मासभर सभी प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने पर श्रेष्ठ, किन्ही तीन में प्रतिभाग करने पर उत्तम और दो में प्रतिभाग करने पर सहभागिता प्रमाणपत्र रहेगा।
✍🏻 साप्ताहिक प्रतियोगिता में विविध विधाओं में लिखने वाले लेखकों को *”कल्प कलम श्री”* सम्मान से सम्मानित किया जायेगा।
✍🏻 दैनिक प्रतियोगिता में आई रचनाओं के सभी श्रेष्ठ रचनाकारों को *”कल्प विधा श्री”* सम्मान से सम्मानित किया जायेगा।
✍🏻 कल्पकथा की ऑनलाइन काव्य गोष्ठियों में प्रतिभागियों को *”कल्प काव्य श्री”* सम्मान से सम्मानित किया जायेगा।
✍🏻 आपकी सभी रचनाएं स्वरचित एवं मौलिक होनी चाहिए। किसी भी प्रकार के कॉपीराइट इशू के लिए लेखक स्वयं जिम्मेदार होगा।
✍🏻 कल्पकथा पर किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत, सामुहिक या राजनैतिक प्रचार-प्रसार पूर्णतः प्रतिबंधित है।
✍🏻 यदि आप कल्पकथा संदेशों से इतर कोई व्यक्तिगत, राजनैतिक या सामुहिक विज्ञापन करना चाहते हैं तो आप संस्थापक निर्देशक या संस्थापक निदेशक कोषाध्यक्ष को इसका शुल्क जमा करवा कर प्रचार-प्रसार कर सकते हैं।
✍🏻 यदि आप बिना अनुमति लिये किसी भी प्रकार का राजनैतिक, व्यक्तिगत या सामुहिक लिंक, पोस्ट या फिर कोई चित्र/चलचित्र आदि डालते हैं तो आप पर तुरंत 25000/- रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा, जो संस्था नियमों के अनुसार अवश्य ही देय होगा।
✍🏻 आप सभी से विशेष अनुरोध है कि रचना भेजते समय रचना में ऊपर शीर्षक और नीचे लेखक/लेखिका का नाम होना चाहिए। उसके बिना रचनाएं सम्मिलित नहीं की जायेंगी।
*लिखते रहिये ✍🏻 , पढते रहिये 📖 और बढ़ते रहिये।*
*सादर* 🙏🏻 🌷 🙏🏻
✍🏻 *कल्प आमंत्रण अध्यक्ष*
*कल्पकथा साहित्य संस्था*
3 Comments to “!! “साप्ताहिक प्रतियोगिता :- अक्षय तृतीया” !!”
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Kalpkatha
ये प्रतियोगिता सभी प्रतिभागियों के लिए एक चैलेंज है। जो जितनी अच्छी रचना लिखेगा, उसके लिए उतने ही विकल्प खुलेंगे।
पवनेश
🌺 “!! कल्पकथा साप्ताहिक आमंत्रण !!” 🌺
“विषय – अक्षय तृतीया”
“भाषा – हिन्दी (देवनागरी)
“शीर्षक – बुन्देलखण्ड में अक्षय तृतीया।”
कल्पकथा परिवार के सभी सदस्यों को राधे राधे,
बैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि यथा अक्षय तृतीया पर्व को हम भारतीय विशेषकर वैदिक आर्य संस्कृति के उपासक हिन्दू, एवं जैन धर्मावलंबी पूरे हर्षोल्लास से मनाते हैं। आखा तीज, अक्ति, कृतयुगादि तिथि, भगवान परशुराम का पावन प्राकट्य पर्व, जैसे अन्यान्य शुभ उत्सव नामों से देश के विभिन्न भागों में इस पर त्यौहार को भक्ति भाव से उपासना की जाती हैं।
कहते हैं इसी शुभ तिथि पर सतयुग एवं द्वापर युग का आरंभ हुआ है। इसी पुण्य तिथि पर भगवान ब्रह्मा, एवं भगवान शिव, भगवान कुबेर को आशीर्वाद देते हुए अलकापुरी का अधिपति नियुक्त किया था। इसी पावन अवसर पर भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को अक्षय पात्र प्रदान किया था जिससे उनके राज्यद्वार से कभी कोई भूखा वापस नहीं गया। सूर्य एवं चंद्रमा का उच्च राशि में होने मांगलिक कार्यों का यह अविजित मुहूर्त है। माता लक्ष्मी की विशेष कृपा से इस अवसर पर अर्जित धन – संपदा, ज्ञान, यश, उपलब्धि, अक्षय रहती हैं।
जैन धर्मावलंबियों की मान्यता अनुसार प्रथम तीर्थांकर भगवान ऋषभदेव ने एक वर्ष की तपस्या के पश्चात वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया की तिथि पर ईख (गन्ने) के रस अपने व्रत का पारणा की थी। साथ ही इस तिथि पर जैन धर्मावलंबी मान्यता के अनुसार इस तिथि पर दान करना, गंगा स्नान, पितरों को तर्पण, एवं भूखों को भोजन करवाने, से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
हमारे बुन्देलखण्ड में अक्षय तृतीया को अकती के नाम से जाना जाता है। हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने वाले इस त्यौहार पर बुन्देलखण्ड में बालिकाएं अपने गुड्डे – गुड़ियाओं का ब्याह रचाते हैं। बालक पतंग उड़ाकर आनंद मनाते हैं। थैलों, घड़ों, के ऊपर सत्तू, पूड़ी, पकौड़ी, गुड, और कच्चे आम (अमिया) रखकर दान करना विशेष पुण्य का कार्य माना जाता है। संध्या के समय लड़कियां अकती के गीत गाती हुई सोन बांटती हैं। सोन यानि भीगी हुई चने की दाल, बरगद के पत्ते, का विशेष प्रसाद। चूंकि बुन्देलखण्ड पत्नी द्वारा पति का नाम न लेकर अपने पति को विशेष सम्मान दिया जाता है इसलिए हास्य के लिए गीत अथवा कवित्त शैली में ननद – भाभियां आपस में पति के नाम का प्रश्न करते हुए उत्तर देती हैं।
संक्षेप में कहा जाए तो प्रकृति की उपासना, और ऋतु परिवर्तन, के इस पुण्य पर्व पर प्रकृति संरक्षण के साथ सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाए, के मूल भाव से मनाए जाने वाले इस पुण्य पर्व पर सभी सनातन संस्कृति प्रेमी आनंद से अपनी मांगलिक परंपरा का पालन करते हैं।
अक्षय पुण्य, अक्षय यश, अक्षय समृद्धि, अक्षय स्वास्थ्य, अक्षय आनंद, के आनंद पर्व शुभ श्री अक्षय तृतीया पर सभी को अक्षय माधुर्य की ह्रदयतल से स्नेहिल मंगलकामनाएं।
✍️ पवनेश मिश्रा।
Binny Chaurasia
कल्प कथा साप्ताहिक प्रतियोगिता
विषय-अक्षय तृतीया
भाषा-हिन्दी
शीर्षक-शुभ अक्षय
वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया अक्षय तृतीया है कहलाती
अक्षय तृतीया को शुभ कार्य करने से अक्षय पुण्य मिल जाता
अक्षय तृतीया पर जो दान करता विशेष शुभ लाभ प्राप्त हो जाता
हर शहरो मे विभिन्न तरह से ये पर्व है मनाया जाता
अक्षय पर्व मनाया जाता दान सत्कार्य से पुण्य कमाया जाता
आखा तीज भी कहते इसको शुभ मुहूर्त है ये लाता
माॅ गंगा का अवतरण हुआ धरती स्वर्ग कहलाती
शुभ मंगल दायक है तृतीया सौभाग्य शांति है लाती
बदरी नाथ के कपाट अक्षय तृतीया को खुल जाते
लक्ष्मी नारायण की विशेष पूजा होती
आचरण सत्कर्म विशेष होता सब लोग झुका लेते है शीश
वृंदावन के बांके बिहारी का चरण श्री विग्रह पूजन होता
इनके समान न कोई और कभी ऐसा दर्शन होता
सतयुग,त्रेतायुग का प्रारम्भ भी अक्षय तृतीया से हुआ
वेदव्यास जी ने भी महाभारत तृतीया से लिखना प्रारम्भ किया
परशुराम जी का भी जन्म इसी शुभ मुहूर्त मे हुआ
द्वापर युग का समापन हुआ गौ पूजा का विशेष महत्व मिला
धर्म राज युधिष्ठिर को भी अक्षय तृतीया को प्राप्त हुआ अक्षय पात्र
अक्षय पात्र का भोजन अक्षय रहता न होता कभी समाप्त
शुभ कार्यो का प्रतिफल कई जन्मो तक मिलता है
कई गुना फल मिले दान पुण्य से खुशियाॅ अपार है लाती
इस दिन पर किए गए शुभ कर्म फलित हो जाते हैं
फल अक्षय होता है इस दिन अक्षय तृतीया कहलाता है
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अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाये
स्वरचित कविता
बिन्नी चौरसिया
अयोध्या
उत्तर प्रदेश