
!! “साप्ताहिक प्रतियोगिता – ग्रीष्म ऋतु” !!
- Kalpkatha
- 27/05/2024
- लेख
- प्रतियोगिता
- 3 Comments
✍🏻 *!! “दैनिक आमंत्रण, कल्पकथा” !!* ✍🏻
विषय :- “!! प्रकृति वर्णन :- ग्रीष्म ऋतु !!”
समयावधि :- दिनाँक २७/०५/२०२४ प्रातः ८.०० बजे से २९/०५/२०२४ रात्रि १०.०० बजे तक
विधा :- काव्य, कहानी
भाषा – हिन्दी, संस्कृत
विशेष :- ग्रीष्म ऋतु में प्रकृति को समर्पित भाव
आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं*
कल्प कथा के नियम :-
✍🏻 कल्पकथा वेबसाइट पर रचना प्रतियोगिता श्रेणी के अंतर्गत लिखने पर प्रति प्रतियोगिता प्रमाणपत्र एवं मासिक विशेष सम्मान दिया जाएगा।
✍🏻 साप्ताहिक आमंत्रण में सभी प्रमाणपत्र श्रेष्ठ, उत्तम और सहभागिता रूप में तीन प्रकार के रहेंगे।
✍🏻 मासभर सभी आमन्त्रणों में प्रतिभाग करने पर श्रेष्ठ, किन्ही तीन में प्रतिभाग करने पर उत्तम और दो में प्रतिभाग करने पर सहभागिता प्रमाणपत्र रहेगा।
✍🏻 साप्ताहिक आमंत्रण में विविध विधाओं में लिखने वाले लेखकों को *”कल्प कलम श्री”* सम्मान से सम्मानित किया जायेगा।
✍🏻 दैनिक आमंत्रण में आई रचनाओं के सभी श्रेष्ठ रचनाकारों को *”कल्प विधा श्री”* सम्मान से सम्मानित किया जायेगा।
✍🏻 कल्पकथा की ऑनलाइन काव्य गोष्ठियों में प्रतिभागियों को *”कल्प काव्य श्री”* सम्मान से सम्मानित किया जायेगा।
✍🏻 आपकी सभी रचनाएं स्वरचित एवं मौलिक होनी चाहिए। किसी भी प्रकार के कॉपीराइट इशू के लिए लेखक स्वयं जिम्मेदार होगा।
✍🏻 कल्पकथा पर किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत, सामुहिक या राजनैतिक प्रचार-प्रसार पूर्णतः प्रतिबंधित है।
✍🏻 यदि आप कल्पकथा संदेशों से इतर कोई व्यक्तिगत, राजनैतिक या सामुहिक विज्ञापन करना चाहते हैं तो आप संस्थापक निर्देशक या संस्थापक निदेशक कोषाध्यक्ष को इसका शुल्क जमा करवा कर प्रचार-प्रसार कर सकते हैं।
✍🏻 यदि आप बिना अनुमति लिये किसी भी प्रकार का राजनैतिक, व्यक्तिगत या सामुहिक लिंक, पोस्ट या फिर कोई चित्र/चलचित्र आदि डालते हैं तो आप पर तुरंत 25000/- रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा, जो संस्था नियमों के अनुसार अवश्य ही देय होगा।
✍🏻 आप सभी से विशेष अनुरोध है कि रचना भेजते समय रचना में ऊपर शीर्षक और नीचे लेखक/लेखिका का नाम होना चाहिए। उसके बिना रचनाएं सम्मिलित नहीं की जायेंगी।
लिखते रहिये ✍🏻 , पढते रहिये 📖 और बढ़ते रहिये।
✍🏻 कल्प आमंत्रण अध्यक्ष
-: कल्पकथा साहित्य संस्था :-
3 Comments to “!! “साप्ताहिक प्रतियोगिता – ग्रीष्म ऋतु” !!”
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Kalpkatha
दैनिक प्रतियोगिता में आप सभी का स्वागत है। ग्रीष्म ऋतु में अपने अनुभवों एवं अनुभूतियों के आधार पर इस ऋतु की सुन्दरता का वर्णन करते हुए उन्हें समास एवं अलंकारों से सजायें।
राधे राधे 🙏 🌷 🙏
Radha Shri Sharma
शीश चढ़ा दिवा तपिश अति प्रचंड हैं भानु कला।
पशु पक्षी आकुल-व्याकुल निर्जल भए नदी जला।
तप्त अनल सम देह झुलसाता गर्म ज्वाल सा अंधड़ चला।
दग्ध हृदय को मिले नीरवता, ढूँढन ऐसा कानन मन चला।।
✍🏻 राधा श्री शर्मा
Binny Chaurasia
प्रकृति की महिमा असीम अपरम्पार है
प्रकृति तेरी लीला है अपरम्पार
ग्रीष्म ऋतु है आई प्रकृति की सुन्दर शोभा छाई
सुबह की लालिमा लगती है प्यारी
प्रकृति मे जब छा जाती हरियाली
विविध प्रकार के खिलते हैफूल फल
प्रकृति के है ये सुन्दर अनमोल रूप
छोड़ घोंसला पंछी उड़ जाते
दाना चुग नया राग सुनाते
सुबह की किरणें आशा है जगाती
दोपहर को धूप,लू है सताती
प्रकृति कैसा अनुपम रूप दिखाती
ठण्डी कभी बरसात है आती
बसंत तो कभी गर्मी है सताती
चलती है जब तेज गर्म हवा
लू के थपेडो से हमे जलाती
आम के फल जब है मुस्काते
तरह-तरह के स्वाद बढ़ाते
हलक जब सूख जाते है सबके
शीतल जल है प्यास बुझाते
तरोताजगी से भर जाते
ग्रीष्म ऋतु भी लगती है प्यारी
पर्वत पहाड़ो को सैर जो कराती
प्रकृति की शोभा मन को भाती
इस की शोभा तुम रखना बरकरार
न करना तुम प्रदुषण व अत्याचार
ग्रीष्म ऋतु मे कुछ पेड़ भी तुम लगाओ
प्रकृति की शोभा को और बढ़ाओ
बिन्नी चौरसिया
अयोध्या