सुनो स्त्री
- Swati Shrivastava
- 07/03/2025
- काव्य
- Stree
- 0 Comments
विशिष्ट आमंत्रण क्रमांक :– !! “कल्प/मार्च/२०२५/अ” !!
विषय :- “नारी”
विधा :- “काव्य”
शीर्षक : ” सुनो स्त्री “
तुम्हारे लिए …..
तय किए गए दायरे..
बनाई गईं सीमाएँ ..
लगाए गए बंधन…
कंधों पर रखा गया भार..
रीतियों, रिवाजों, मान सम्मान का….
तय किया गया मापदण्ड भी,
बोलचाल, व्यवहार, परिधान का..
पर तुमने हर बाधा को पार किया..
और हर क्षेत्र में झंडा गाड़ दिया…
क्या खूब कि मुश्किलों से डरी नहीं..
पर बंदिशों से आज भी बरी नहीं….
जब तक यह दुनियादारी है..
तुम्हारी यात्रा जारी है..
कंधों पर आज भी तुम्हारे
दोहरी जिम्मेदारी है..
तुम्हारे साहस के बल पर
आ रहा है बदलाव भी..
युग परिवर्तन के महायज्ञ में
तुम्हारी पूर्ण भागीदारी है..
ईश्वर की अनमोल कृति तुम
तुम में ही सृजन की शक्ति ..
शक्ति से चल रहा सृष्टि का क्रम..
सृष्टि के मूल में परिवर्तन..
और परिवर्तन के मूल में पुनः
“तुम”
-स्वाति श्रीवास्तव
भोपाल
Leave A Comment
You must be logged in to post a comment.