
!! “सुरीली मनसा” !!
- Radha Shri Sharma
- 19/06/2024
- लेख
- प्रतियोगिता : दैनन्दिनी लेखन
- 1 Comment
!! “सुरीली मनसा” !!
!! “कल्प साप्ताहिक आमंत्रण क्रमांक : कल्प/जून/2024/स” !!
सुरीली मनसा — संगीत की देवी
दिनाँक :— १९/०६/२०२४
वार :— बुधवार
समय — दोपहर
राधे राधे सुरीली!
कहो कैसी हो सखी?
हाँ सखी, हमें पता है। तुम हमें बहुत मिस करती हो। हम भी तुम्हें बहुत मिस करते हैं। पर क्या करें सखी। दिन प्रतिदिन काम बढता जा रहा है और उसी व्यस्तता में हम तुम्हारे साथ समय ही नहीं व्यतीत कर पाते। हम जानते हैं कि तुम हमें समझोगी। इसीलिये तो हम निश्चिन्त होकर अपना काम कर पाते हैं। धन्यवाद सखी, तुम्हारे रूप में हमें बडी प्यारी सखी मिली है।
सखी, इस बार विषय संगीत है और जहां नाम संगीत का आता है, वहां मन के तार झनझना जाते हैं। हृदय उल्लास से भर जाता है। जाने कितनी सुमधुर तरंगें कानों में बजने लगतीं हैं। वातावरण सुवासित हो जाता है। फिर तो नदियों की लहरें भी मधुर गीत गाती प्रतीत होती हैं और हृदय में प्रेम का आवेग बढता जाता है।
तुम्हें पता है सुरीली, इस संगीत का प्रादुर्भाव कहाँ से हुआ? इसका प्रादुर्भाव हुआ माँ सरस्वती से। इसीलिये उन्हें संगीत की देवी, सुरों की अधिष्ठात्री कहा जाता है। उन्होंने ही सुर और रागों का सृजन कर उन्हें गंधर्वों को सौंप दिया। नृत्य की विभिन्न कलायें उन्होंने नटराज और किन्नरों को सौंप दी। इस प्रकार गीत और संगीत के विशेषज्ञ गन्धर्व हुए और नृत्य के विशेषज्ञ किन्नर हुए।
सुरीली, ये संगीत ही तो है, जो जीवन के विभिन्न पडावों पर हमारे जीवन में उल्लास और उमंग भरकर नव चेतना प्रदान करता है। इसी संगीत के माध्यम से हमारे विभिन्न मांगलिक कार्यक्रम सम्पन्न होते हैं। ये संगीत पर्वतों की हवाओं में बसा हुआ है। ये संगीत नदिया की धारा में रमा हुआ है। यही संगीत प्रेमियों के हृदय की स्पन्दन बन जाता है। और यही संगीत जीव और ईश्वर का भेद मिटा कर उन्हें एकीकार कर देता है।
सुरीली, तुम्हें पता है? जब एक शिशु का जन्म होता है तब उसके प्रथम रुदन की वो ध्वनि बाहर खडे उस पिता के हृदय में तरंगित हो संगीत की तरह बज उठती है और कानों में उस अमृत तुल्य संगीतमय ध्वनि को सुनकर वो पिता आह्लादित हो जाता है।
अच्छा सुरीली, अब अंत में हम उन वीणावादिनी, संगीत की देवी, सुरों की अधिष्ठात्री माँ शारदा के चरणों में बारंबार वन्दना करते हैं। जय माँ शारदे, जय माँ वीणापाणि।
मिलते हैं सुरीली, शीघ्र ही, एक नई विचारधारा के साथ। तब तक के लिए
राधे राधे
तुम्हारी सखी
✍🏻 राधा श्री
डायरी लेखन प्रयास : ✍🏻 राधा श्री शर्मा
One Reply to “!! “सुरीली मनसा” !!”
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पवनेश
सुरीली के साथ संगीत चर्चा पढ़कर आनन्द आ गया। राधे राधे 🙏🌹🙏