
♈ “!! युग के अमर काव्य :- कवि डॉक्टर गोपालदास नीरज जी !!” ♈
- पवनेश
- 05/01/2025
- मुक्तक
- प्रतिस्पर्धा
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*🥁🦚 “!! कल्पकथा प्रतियोगिता आमंत्रण – श्रद्धेय कवि डॉ. गोपालदास “नीरज” जन्मशती विशेष !!” 🦚🥁
*L✍🏻 !! “प्रतियोगिता आमंत्रण – कल्प/जनवरी/२०२५/क” !! ✍🏻
📜 विशिष्ट आमंत्रण क्रमांक :– !! “कल्प/जनवरी/२०२५/क” !! 📜
📚 विषय :- !! “गोपाल दास नीरज” !!📚
▶️ “!! विधा – हिन्दी !!” ▶️
शीर्षक:- “श्रद्धेय डॉक्टर गोपालदास “नीरज”: युग के अमर काव्य”
पुरावली की माटी में जन्में, यश तेज इटावा के वह हैं।
छः वसंत में बचपन पूरा, कुलदीप पुण्य पिता के वह हैं।।
विज्ञ कायस्थ कुल की संतान, जीवन संघर्षों में भीषण रण।
अल्प आयु में जिसने सहा, कष्टों का दावानल सा दर्पण।।
तीन भाईयों के पालनहारे, बढ़े वह नन्हें हाथ तात बनकर।
माँ की आँखों का केंद्र बिंदु, खुद बना अनूठी बात बनकर।।
बुआ के आंचल में आन बसे, पर दूर कहाँ थीं माँ मन से।
ग्यारह वर्षों का बिछोह मिला, पर जुड़ी रही नेह डोर मन से।।
टाइपिंग की चली चटक सी धुन, यूं चली कलम की धार धार।
शिक्षा, श्रम से ज्ञान पाया, पीती तपती धरती ज्यों जल अपार।।
हाई स्कूल से एम.ए. तक, अर्जित की प्रथम श्रेणी की चमक,
जीवन के पथ पर पग रक्खे, अवरोधों पर विजय की धमक।।
शब्दों की सजग साधना से, वह काव्य दीप इस भांति जला।
प्रेम, पीड़ा, करुणा, यथार्थ, शाश्वत सा गीतों में रंग खिला।।
संघर्ष, विभावरी, प्राणगीत, फिर दीप जलेगा, दर्द दिया है।
नदी किनारे, लहर पुकारे, मुक्तकी, आसावरी, वंशीवट सूना है।।
सिनेमा की सरगम में नीरज ने, जोड़ा गीतों का सुखद जाल।
“मेरा नाम जोकर” “तेरे मेरे सपनों” से उठा शोहरत का ख्याल।।
“नई उमर की फसल” “प्रेम पुजारी” “शर्मिली” की सुन गाथा।
नीरज के गीतों ने रचा “गैंबलर”, प्रतिमानों का उन्नत माथा।।
पद्मश्री, पद्मभूषण, विश्व ऊर्दू परिषद, यश भारती से उच्च ताज।
सम्मानों से सजी, लफ्जों से बुनी, जिनकी मखमल सी आवाज।।
अमिट छवि साहित्य की जिसमें, जिसको रुबाइयों का ज्ञान।
हिंदी का साधक, साधु सा, बन गया शब्दयुग का अभिमान।।
फेफड़ों की पीड़ा ने जीवन छीना, छीना कलम का शिल्पकार,
काव्य में बसे वो महामनुज, निज जीवन साहित्य का उपहार।।
श्रद्धेय कवि गोपालदास नीरज, युग-युग तक अमर रहेगा नाम।
नमन कोटि वंदन उनको, जिनका वृहद विहान अक्षय आयाम।।
✍️:- सृजन प्रयास।
पवनेश मिश्रा।
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