
⚜️ !! कल्प संवादकुंज:- “महाशिवरात्रि – जागृति का उत्सव” !! ⚜️
- Kalp Samwad Kunj
- 19/02/2025
- लेख
- आध्यात्मिक
- 4 Comments
🕉️ “साप्ताहिक कल्प संवादकुंज – महाशिवरात्रि पर्व विशेष” 🕉️
⚜️ कल्प संवादकुंज:- “महाशिवरात्रि :- जागृति का उत्सव” ⚜️
⏳ “समयावधि: दिनाँक १९- फरवरी-२०२५ बुधवार सायं ६.०० बजे से दिनाँक २५-फरवरी-२०२५ मंगलवार मध्य रात्रि १२.०० बजे (भारतीय समयानुसार) तक।” ⏲️
🔆 “विधा – लेख (वैचारिक)” 🔆
📝 “भाषा:- हिन्दी (देवनागरी लिपि)” 📝
❇️ “विशेष: > आदियोगी अनंत ब्रह्माण्ड स्वामी भगवान शिव के विराट स्वरूप को समर्पित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं।” ❇️
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पवनेश
राधे राधे,
कल्प संवादकुंज के वर्तमान विषय “महाशिवरात्रि – जागृति का उत्सव” विषय पर विचारों को अभिव्यक्त करने की शुरुआत में सदाशिव आदियोगी भूतभावन भगवान शिव एवं माता पार्वती के शुभ मंगल परिणय उत्सव की पावन रात्रि महाशिवरात्रि के पुण्य अवसर सभी देशवासियों को जय जय भोलेनाथ।
“कण-कण में व्याप्त शिव की माया, त्रिलोक में गूँजे जय महाकाल।
शशि शेखर की ज्योति अपार, करुणा बरसाए नाथ त्रिनेत्रधार॥”
मेरे प्रिय मित्रों,
महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, अपितु आध्यात्मिक जागरण, धार्मिक आस्था, सामाजिक समरसता, आर्थिक समृद्धि और प्राकृतिक संतुलन का महापर्व है। यह रात्रि केवल जागरण की नहीं, बल्कि आत्मजागरण की है, जो व्यक्ति को अज्ञान से ज्ञान, अंधकार से प्रकाश, मोह से मोक्ष की ओर ले जाती है। शिव, जो स्वयं काल और महाकाल हैं, इस दिन अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं, जिससे साधक की आत्मा पवित्र होकर शिवत्व की अनुभूति कर सके।
साथियों,
महाशिवरात्रि वह दिन है जब साधक अपनी आत्मा को शिवमय करने का प्रयास करता है। शिव, जो आदि और अनंत हैं, सृष्टि के मूल कारण हैं। इस पावन रात्रि में उपवास, जप, ध्यान और भक्ति के माध्यम से व्यक्ति अपने भीतर छिपी दिव्यता को जागृत कर सकता है। कहा जाता है कि इस दिन शिवलिंग का पूजन, अभिषेक और रात्रि-जागरण करने से मनुष्य को जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है तथा वह ईश्वर के समीप पहुँचता है। इस रात्रि में भगवान शिव का विवाह पार्वती जी के साथ संपन्न हुआ था, जिससे यह दिन शक्ति और शिव के मिलन का भी प्रतीक बन जाता है।
“मन के तम को दूर कर, जप लो शिव का नाम।
रुद्राक्ष धारण कर सदा, पाएँ सुख विश्राम॥”
भाईयों और बहिनों,
सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का अत्यंत महत्त्व है। इस दिन भक्तजन उपवास रखते हैं और रात्रि जागरण करते हैं। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा है, जो पंचामृत अभिषेक के रूप में विख्यात है। रुद्राभिषेक करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि की रात्रि को चार प्रहरों में विभाजित किया जाता है, जिसमें प्रत्येक प्रहर में शिवजी का अभिषेक और पूजन किया जाता है। मंत्रोच्चारण और ओंकार ध्वनि से वातावरण पवित्र और ऊर्जावान हो जाता है।
“घृत, दुग्ध, मधु, को करो, शिवलिंग पर अर्पण।
शिव कृपा से हो सदा- सर्वदा, पावन यह जीवन॥”
बंधुओं और भगिनियों,
यह पर्व समाज में समानता, प्रेम और सौहार्द का संदेश देता है। शिव को संहारक के साथ-साथ पालनहार भी माना जाता है, जो समाज में संतुलन बनाए रखते हैं। महाशिवरात्रि पर सभी जाति, वर्ग, और पंथ के लोग एक साथ भगवान शिव की आराधना करते हैं, जिससे सामाजिक समरसता बढ़ती है। यह उत्सव हमें सिखाता है कि भेदभाव को छोड़कर हम सब शिव के अंश हैं और हमें मिल-जुलकर इस संसार को सुंदर बनाना चाहिए।
“जाति-पाँत की रेख को, शिव ने किया विलीन।
समरस सबरस प्रेमरस, दर्शन चिंतन भजन तीन॥”
मेरे प्रिय देशवासियों,
महाशिवरात्रि का आर्थिक दृष्टिकोण भी महत्वपूर्ण है। इस दिन मंदिरों और तीर्थस्थलों पर लाखों श्रद्धालु एकत्र होते हैं, जिससे व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलता है। फूल, प्रसाद, धूप, दीप, वस्त्र और पूजन सामग्री से संबंधित व्यवसायों को इस समय विशेष लाभ होता है। शिवरात्रि पर अनेक मठों और मंदिरों में भंडारे और अन्नदान का आयोजन किया जाता है, जिससे अन्न का उचित वितरण होता है और गरीबों को भोजन उपलब्ध कराया जाता है। इससे समाज में दान और परोपकार की भावना भी प्रबल होती है।
“मठ-मंदिर में भीड़ है, नित नित श्रद्धा हुई विशाल।
धूप, दीप, पुष्प, प्रसाद संग, व्यवसाय हो हर काल॥”
दोस्तों,
भगवान शिव प्रकृति के संरक्षक हैं। गले में सर्प, जटाओं में गंगा, सिर पर चंद्रमा, और शरीर पर भस्म धारण करने वाले शिव हमें प्रकृति के प्रति प्रेम और संरक्षण का संदेश देते हैं। महाशिवरात्रि पर बेलपत्र, धतूरा और आक जैसे पौधों का उपयोग होता है, जो औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इस दिन वृक्षारोपण करने से पर्यावरण शुद्ध होता है और हरियाली को बढ़ावा मिलता है। साथ ही, इस पर्व पर जल बचाने और नदियों को स्वच्छ रखने का भी संदेश दिया जाता है।
“बेल, धतूरा, नीम सब, शिव पूजन स्वीकार।
वन की रक्षा से मिले, जीवन को आधार॥”
अपने विचारों को विराम देने के पूर्व हम यही कहना चाहते हैं कि महाशिवरात्रि उपवास, पूजन, के साथ आत्मचिंतन, आत्मशुद्धि और आत्मजागरण, का पर्व है। यह शिव के प्रति भक्ति, समाज में प्रेम, आर्थिक समृद्धि और प्रकृति के प्रति सम्मान का संगम है। शिवरात्रि हमें यह सिखाती है कि जीवन में संतुलन बनाए रखना ही सच्ची शिवभक्ति है। जब हम अपने अंदर शिव तत्व को जागृत कर लेंगे, तभी वास्तविक महाशिवरात्रि होगी और हम सच्चे अर्थों में शिवत्व को प्राप्त कर सकेंगे।
हर-हर महादेव!
Kalp Samwad Kunj
“साप्ताहिक कल्प संवाद कुंज – महाशिवरात्रि पर्व विशेष ”
कल्प संवादकुंज:-
महाशिवरात्रि:-जागृति का उत्सव”
विधा -लेख (वैचारिक)
भाषा:-हिंदी, (देवनागरी लिपि)
विशेष:-आदियोगी अनंत ब्रह्मांड स्वामी भगवान शिव के विराट रूप को समर्पित।”
हर हर महादेव
शिव ब्रह्म है, शिव शक्ति है, शिव ओंकार है, शिव भक्त है। शिव सत्य है, शिव दिग-दिगंत हैं, शिव अनादि है, शिव आदि अनंत है। अर्थात शिव शंकर आदि और अंत के देवता है। शिव निराकार है और साकार भी। शिव के निराकार रूप शिवलिंग की पूजा की जाती है। साकार रूप में भोलेनाथ भगवान शिव की पूजा की जाती है। शिवलिंग की पूजा करने से ब्रह्मांड की पूजा हो जाती है। शिव अनंत के गहन अंधकार को दूर करने वाले आदि देव है इसलिए शिव महादेव है। जीवन के झंझावातों से दूर करने वाले, सुख शांति प्रदान करने वाले, समस्त प्रश्नों का समाधान करने, जगत कल्याण करने वाली शिवा महा रूप महादेव है।
विशेष दिवस महाशिवरात्रि महोत्सव, महाशिवरात्रि बाह्य जगत से अंतर्मन की यात्रा का विशेष दिवस है। महाशिवरात्रि चेतन मन की जागृति की रात है। आध्यात्मिक व्याख्या के अनुसार प्रकृति इस रात मनुष्य को परम सत्ता से जोड़ती है। महाशिवरात्रि को पूरे देश में महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
वैसे तो वर्ष में बारह शिवरात्रि होती है लेकिन फागुन मास की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्त पूरी श्रद्धा से अपने आराध्य शिव की आराधना करते हैं। क्योंकि इस महाशिवरात्रि में भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत – पूजा करने से भक्तों को सुख ,समृद्धि,सौभाग्य वृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना और विवाहोत्सव का पर्व महाशिवरात्रि है। इसलिए महाशिवरात्रि को विवाह उत्सव के रूप में मनाये जाने परंपरा है। महाशिवरात्रि के दिन देवों के देव महादेव को रंग चढ़ने के बाद ही होली पर्व की शुरुआत हो जाती है।
महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था। तांडव नृत्य को सृजन और विनाश की अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है।वेदों के अनुसार सृष्टि के आरंभ में इसी दिन मध्य रात्रि को भगवान शिव कालेश्वर के रूप में प्रकट हुए थे। पौराणिक कथा के अनुसार फागुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ही भगवान शिव सर्वप्रथम शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। वास्तव में शिवलिंग असीम ऊर्जा का पिंड है। इसलिए हर वर्ष भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के प्राकट्य दिवस के दिन महाशिवरात्रि मनाने की परंपरा शुरू हुई। अतः यह पर्व मंगल सूचक पर्व है।
कैलाश पर्वत के साथ शिव का एकात्म होने का दिन महाशिवरात्रि। महाशिवरात्रि और समुद्र मंथन शत्रुओं पर विजय पाने के दिवस के रूप में भी मनाई जाती है महाशिवरात्रि। महाशिवरात्रि मनाने का वैज्ञानिक भी महत्व है। महाशिवरात्रि की रात ब्रह्मांड में ग्रहों एवं नक्षत्रों की ऐसी स्थिति होती है जिससे एक विशेष ऊर्जा का प्रवाह होता है। महाशिवरात्रि पर रात्रि जागरण से जीवन के कष्ट दूर होते हैं इसलिए साधक महाशिवरात्रि की रात सोते नहीं है।
भगवान शिव की आराधना में भी मंत्र जाप का विधान है। मंत्र जाप से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। सकारात्मक ऊर्जा से सुख शांति प्राप्त होती है। भगवान शिव की आराधना का मूल मंत्र “ऊं नमः शिवाय”। यह मंत्र भगवान शिव को नमन करने का चमत्कारी मंत्र है। इस मंत्र के जब से भगवान शिव अतिशीघ्र प्रसन्न होते हैं। शत्रु भय,दुष्ट भय, मृत्यु भय आदि भय से मुक्ति पाने के लिए वेद का हृदय महामृत्युंजय मंत्र है।”ऊं त्रयम्बकं यजामहे सुगंधि पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात। यह जाप मृत्यु को जीतने वाला मंत्र है। जो व्यक्ति इस जाप को करता है। उसकी कभी अकाल मृत्यु नहीं होती। इस मंत्र को मृत संजीवनी मंत्र भी कहा जाता है। भगवान शिव से भक्ति यही कामना करता है। जैसे फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाए। भगवान शिव की भक्ति कौन कर सकता है। हम जैसे जीव प्रणाम ही कर सकते हैं। भगवान भोलेनाथ अपनी कृपा सारे संसार पर करते हैं। संसार में जड़ चेतन सभी भगवान शिव के अधीन है। भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग दर्शन से मानव जीवन का कल्याण होता है। भगवान शिव आदि है अनंत है।
हर हर महादेव हर हर महादेव, जय पार्वती आराध्या, जय जय गणेश कार्तिकेय के तात, जय जय आनंदेश्वर, जय जय महाकाल, बम बम भोले स्वीकार करो मेरा प्रणाम।
—————–
मैं घोषणा करता हूं कि उपयुक्त विचार मेरे मौलिक विचार।
भास्कर सिंह माणिक,कोंच
Kalp Samwad Kunj
साप्ताहिक कल्प संवादकुंज-महाशिवरात्रि विशेष
कल्प संवादकुंज:- महाशिवरात्रि -जागृति का उत्सव
दिनांक-25.02.2025.
शीर्षक-अंतःजागरण की रात
विधा-लेख( वैचारिक )
ब्रह्मांडीय सारतत्व की साक्षी की
रात ,महाशिवरात्रि की रात ,अंतःजागरण
की रात है ।महा ऊर्जावान ,महाबोधत्व ,
शिवशक्ति परम तत्व से मिलन की रात है ।
बाह्य जगत की समीपता के साथ-साथ
अंतःकरण तक के जुड़ाव से संबंधित है
महाशिवरात्रि की रात ।आध्यात्मिक रूप
से ,परम सत्ता से विशुद्ध रूप से जुड़ने की
रात है। शिव जो आदि-अनंत है ,ज्ञान-
विज्ञान हैं ,जड़ चेतन परमानंदम हैं ,काल
कराल महाकाल हैं ,निराकार साकार हैं ,
भूत भविष्य वर्तमान हैं ,पंचतत्व के आधार
हैं ,अंबर के शून्य क्षितिज के धूर हैं ,घोर-
घोर अंधकार प्रकाश हैं ,की पावन परम
सत्ता से जुड़ने और शिवमय होने की रात
है । शिवशक्ति अर्द्धांगिनी शिवा-शिवानी
के मिलन यानि पारब्रह्म परमतत्व से सहज
जुड़ाव की रात है ।यहाँ निशा मोहिनी रूप
में आती है ।दिशाएँ मस्त मलंग रहती हैं ।
एक विचित्र अहसास ,जो बाह्य जगत से
आकर जाग्रत मनुष्य के रूह में आत्मसात्
होती हैं । यह सौभाग्य प्राप्ति की रात है ।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो
खगोलीय घटनाक्रम में पृथ्वी उत्तरी गोलार्द्ध
में इस तरह अवस्थित होती है कि व्यक्ति
के अंदर प्राकृतिक ऊर्जा स्वतः ऊपर की
ओर बढ़ने लगती है ।यह खगोलीय घटना
मानव जीवन को विशिष्ट रूप से प्रभावित
करती है।शिवरात्रि तो हर माह आती है ,
किंतु फागुन मास की शिवरात्रि को शिव-
पार्वती का विवाह हुआ था ,यानि शिवशक्ति
के मिलन की रात है ,जिसे महाशिवरात्रि का
नाम दिया गया है ।कई गुणा प्रभावशाली
है शिवरात्रि की यह रात ।फागुन मास के
चतुर्दशी तिथि को शिवलिंग का प्राकट्य
दिवस भी माना गया है ।अपनी असीम ऊर्जा
को संग्रहित करके मानव कुंडलिनी तक
जाग्रत कर सकता है ।वातावरण इतनी
शक्तिशाली प्रभावी होती है कि सात्विक
सिद्धियाँ अवश्यंभावी लगती हैं ।
इस रात हम पूर्ण श्रद्धा ,आत्मसंयम से शिव
शक्ति की पूजन करते हैं।कठिन तपस्या के
रूप में भोले वाबा इसे स्वीकारते हैं ।अर्द्ध-
नारीश्वर रूप में ,भोले बाबा रूप में ,अवधूत
रूप में ,हर रूप में सबकी याचना स्वीकारते
हैं ।आज शिव का सौंदर्य दूल्हे की तरह भी
होता है ,जो रसिक मनभावन होता है । रंग
बसंत का परिचायक है ।कुँवारी कन्यायें
शिव बाबा सम भोलाभाला वर अपने लिये
माँगतीं हैं ।
एक लोटा गंगाजल ,भांग-धतूरा ,
कनेर-मंदार ,बिल्वपत्रम ,रक्तचंदन ,गुलाल
लेकर शिव की पूजा होती है ।श्रद्धाभाव से
नर-नारी इस दिन पूजा करते हैं ।शिवशंकर
मनवांछित कामना सिद्ध करते हैं ।खुशियों
की इसी दिवस से उड़ान शुरू हो जाती है ।
दिशायें रसीली हो जाती हैं ।पीले वस्त्रों से
सुसज्जित धरा मोहिनी लगती है ।कचनार
पलाश गेंदा गुलाब ,बासंती पुष्प से उपवन
महकता है ।मन में उल्लास के साथ अदम्य
विश्वास के चाहत बनकर उभरती है ।
-शोभा प्रसाद ©️®️
Kalp Samwad Kunj
🕉️”साप्ताहिक कल्प संवादकुंज-महाशिवरात्रि पर्व विशेष🕉️ ”
कल्प संवादकुंज:-“महाशिवरात्रि:-जागृतिका उत्सव 🕉️🚩🙏
“विधा- लेख (वैचारिक लिपि)”
“भाषा:-हिन्दी (देवनागरी लिपि)”
महाशिवरात्रि का त्यौहार भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है ।
यह त्यौहार फागुन महीने के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी को मनाया जाता है, इस दिन भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था ।
जो सृजन संरक्षण और विनाश का ब्रह्मांडीय नृत्य है।
शिवरात्रि से जुड़े अनेक मान्यताएं प्रचलित है जो इस प्रकार से हैं-
*मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग में प्रकट हुए थे।
*इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का प्रणय- सूत्र बंधा था।
*जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखकर भोलेनाथ की आराधना करता है भगवान उसके सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं।
*महाशिवरात्रि का महत्व शिवरात्रि से कई गुना ज्यादा होता है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन प्रकृति परमात्मा का मिलन होता है इस दिन जागरण करने का विशेष महत्व है।
रात्रि में जागरण करने से व्यक्तियों के अंदर सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है जो जीवन को सार्थक बनाती है।
यदि नियम अनुसार पूजा, अभिषेक करने के साथ एक उपाय भी कर लें तो बड़ी समस्या से निजात पाया जा सकता है।
यह खास उपाय है कि इस दिन रुद्राक्ष धारण करना महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की षोडशोपचार पूजन की जाती है।
भगवान शिव की पूजन में भस्म के साथ-साथ रुद्राक्ष का विशेष महत्व बताया गया है।
महाशिवरात्रि जैसा के नाम से ही प्रतीत होता है कि इस दिन बाबा भोले का विशाल रूप देखने को मिलता है इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा गया है महाशिवरात्रि के अर्थ का खंडन करें तो हमें यह देखने को मिलेगा की महा मतलब विशाल , बड़ा शिव अर्थात त्रिलोकी, रात्रि मतलब रात तीनों को मिलाकर देखा जाए तो रात भर जागरण भोले बाबा का करना ही महाशिवरात्रि कहा जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टि से महाशिवरात्रि का अर्थ बहुत खास है ।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस रात ग्रह और नक्षत्र की स्थिति विशेष होती है इस वजह से इस रात मनुष्य के अंदर की ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर जाने लगती है यह ऊर्जा प्रवाह भौतिक और मानसिक शक्ति को संतुलित करता है।
महाशिवरात्रि के वैज्ञानिक महत्व:-
*इस रात पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध इस तरह होता है कि मनुष्य के अंदर की ऊर्जा ऊपर की ओर जाने लगती है।
*इस रात चंद्रमा और तारों की स्थिति विशेष होती है चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है जिससे उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति बढ़ जाती है।
*इस प्रकार की खगोलिक स्थिति न केवल हमारे शरीर की ऊर्जा को प्रभावित करती है बल्कि यह हमारे मन और आत्मा को भी शुद्ध करती है।
*इस रात जागरण करने और रीढ़ की हड्डी सीधी करके ध्यान लगाने के लिए कहा जाता है।
*इस रात शिवलिंग का जल और दूध से अभिषेक करने मात्र से सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है।
*इस रात भजन कीर्तन और ध्यान करने का विशेष महत्व है सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि त्योहार पर विशेष सामग्रियों से पूजा अर्चना की जाती है जिसका विशेष महत्व भी होता है जैसे-बेलपत्र, धतूरा, भांग,शमी का पत्ता, गंगाजल दूध, दही, शहद ,चावल ,काले तिल, गेहूं, धतूरा सफेद चंदन ,भस्म ,आंक के फूल मदार का फूल भोले बाबा को जरूर अर्पित करनी चाहिए क्योंकि यह वस्तु भगवान शंकर को अत्यधिक प्रिय है।
महाशिवरात्रि के व्रत के दौरान कुछ खास चीजों को खाने की मनाही होती है इस दिन तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए लहसुन, प्याज मांस ,मदिरा नहीं खाना चाहिए।
यह मानसिक एकाग्रता को भंग करती है महाशिवरात्रि के व्रत में अन्य और सामान्य नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा देश के कई मंदिरों में की जाती है खासतौर पर उज्जैन और देवघर के मंदिरों में इस दिन विशेष तैयारी की जाती है इसके अलावा आंध्र प्रदेश ,कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना के मंदिरों में भी महाशिवरात्रि का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
अगर आसपास मंदिर नहीं है तो घर में मिट्टी बनाकर शिवलिंग की पूजा की जाती है इसमें तुलसी मां की पूजा नहीं की जाती या तुलसी का पत्ता प्रसाद के रूप में नहीं प्रयोग करना चाहिए तुलसी जी को इस पूजा में निषेध बताया गया है।
महाशिवरात्रि पूजा की विधि-
*सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहने।
*शिवलिंग पर भांग बेलपत्र धतूरा चढ़ाएं।
*शिवलिंग पर फूल- फल चढ़ाएं।
*शिवजी को पंचामृत चढ़ाएं।
*शिव मंत्र और शिव चालीसा का पाठ करें।
*सभी देवी देवताओं की आरती उतारे गणेश जी को प्राथमिकता दें।
*शिव परिवार की पूजा अर्चना करें।
महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने से शिव शंकर भगवान प्रसन्न होते हैं किंतु इसका फल हमें प्रदोष काल में पूजन से मिलता है।
ऐसा भी माना जाता है कि भगवान भोले की पूजा करने से हमारे सारे संकट दूर हो जाते हैं, शारीरिक पीड़ा मानसिक पीड़ा अन्य पीड़ाओं से मुक्ति महामृत्युंजय जाप के द्वारा हमें मिल जाता है ।
देवों के देव महादेव बहुत जल्द अपने भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं इसलिए हमें महाशिवरात्रि का व्रत जरूर रखना चाहिए जब व्रत ना रख सके तो इस दिन पूजन अर्चन ध्यान से करना चाहिए जिससे हम अपने धार्मिक कार्यों से अपने भक्ति से बाबा भोले को प्रसन्न कर सके
साथ ही महाशिवरात्रि के दिन जागरण का विशेष फल सभी भक्तों को प्राप्त होता है।
ज्योति राघव सिंह
वाराणसी ( उत्तर प्रदेश)