
⛩️ !! “कल्प साप्ताहिक आमंत्रण : होली – रंगों का उत्सव” !! ⛩️
- Radha Shri Sharma
- 14/03/2025
- काव्य
- कविता
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⛩️ !! “कल्प साप्ताहिक आमंत्रण : होली – रंगों का उत्सव” !! ⛩️
📜 !! विशिष्ट आमंत्रण क्रमांक : “कल्प/मार्च/२०२५/ब” !! 📜
📚 !! विषय : “होली – रंगों का उत्सव” !! 📚
🔯 🪔 !! विधा : “काव्य” !! 🪔🔯
🔊 !! भाषा : “हिन्दी” !! 🔊
📗 !! शीर्षक : “होलिका दहन” !! 📗
किस्सा है प्राचीन ये सबका सुना जाना।
नृप एक भू पर हुआ अतुलित वीर बलवाना।।
हिरण्यकश्यप नाम पा जग में ख्याति पाई।
बाँध बैर निज सुत संग अपना काल ठाना।।
थी उसकी रानी एक विदुषी सरल सुन्दर मनभावनी।
नाग वासुकि सुता अद्भुत सौंदर्य स्वामिनी।
मन ही मन ठाकुर जी का नित ध्यान वो किया करती।
इसी कारण अति प्रवर भक्त श्रेष्ठ की माता बनो।।
ऋषि आश्रम पहुँची कयाधु जग प्रसिद्ध वे नारद।
नारायण नाम जाप से बनाया पाषाण उत्तम पारद।
शुभ मुहुर्त श्रेष्ठ घडी प्रह्लाद धरा पर जन्मे।
हरे हरे मुख से निकले भयो सहाय माँ सारद।।
हरि प्रेम निरख पुत्र का हिरण्यकश्यप घबराया।
कैसे राह बालक की मोड़ें सोच-सोच चकराया।
कडे जतन कर, कठोर दण्ड दे प्रह्लाद त्रास दिखाया।
निष्फल होते सब कर्म देख दैत्यराज गुर्राया।।
थी भगिनी उस दानव की होलिका युक्ति सुझाई।
वरद पाय अग्निदेव से अनोखा मन ही इतराई।।
भये प्रसन्न दिति सुत सुता ले काठ चिता सजाई।
संध्या काल विशिष्ट मुहूर्त उसमें आग लगाई।।
घटना सबकी जानी सुनी है, किस से छुपा छुपाया।
धू धू कर जल उठी होलिका, हँसता प्रह्लाद घर आया।
सुनो सखा शिक्षा देती ये सुमधुर भक्त कहानी।
हरि प्रिय का जो अहित किया तो निज काल बुलाया।।
एक प्रयास
✍🏻 राधा श्री
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