✊ “!! कल्प संवादकुंज – उपभोक्ता हित जागरूकता और कानून !!” ✊
- Kalp Samwad Kunj
- 2024-12-18
- लेख
- प्रतिस्पर्धा
- 1 Comment
🇮🇳 “साप्ताहिक कल्प संवादकुंज – राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस विशेष” 🇮🇳
✊ कल्प संवादकुंज:- “उपभोक्ता हित जागरूकता और कानून” ✊
⏳ “समयावधि: दिनाँक १८- दिसंबर-२०२४ बुधवार सायं ६.०० बजे से दिनाँक २४-दिसंबर-२०२४ मंगलवार मध्य रात्रि १२.०० बजे (भारतीय समयानुसार) तक।” ⏲️
🔆 “विधा – लेख (वैचारिक)” 🔆
📝 “भाषा:- हिन्दी (देवनागरी लिपि)” 📝
❇️ “विशेष: > उपभोक्ता अधिकारों के सम्मान में आपके विचार सादर आमंत्रित हैं।”
“>आपके विचार कल्पकथा वेबसाइट पर दिए गए विषय के कमेंट सेक्शन में पोस्ट करने पर ही स्वीकार किए जायेंगे।”❇️
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पवनेश
🥁 “!! कल्प संवादकुंज – उपभोक्ता हित जागरूकता और कानून। !!” 🥁
राधे राधे सभी को,
कल्प संवादकुंज के वर्तमान विषय “उपभोक्ता हित जागरूकता और कानून” पर विचार रखने के पूर्व हम उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए प्रयास करने वाले सभी व्यक्तियों, संस्थाओं, संगठनों, को उनके प्रयासों, समर्पण, और निष्ठा के लिए हृदय से साधुवाद देते हुए कहना चाहते हैं।
“जागो ग्राहक जागो कहे, नीति यही सिखलाय।
अधिकारों का ज्ञान हो, सत्य सदा अपनाय॥”
मित्रों,
आज के युग में उपभोक्ता न केवल अर्थव्यवस्था का केंद्र है, बल्कि समाज का महत्वपूर्ण अंग भी है। वह वस्तुओं और सेवाओं का उपयोग करके अपने जीवन को सरल और सुविधाजनक बनाता है। परंतु, अनेक बार वह व्यापारिक संगठनों और विक्रेताओं की अनैतिक प्रवृत्तियों का शिकार बन जाता है। ऐसी स्थिति में, उपभोक्ता अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए जागरूकता और कानूनों की आवश्यकता महत्वपूर्ण हो जाती है।
साथियों,
उपभोक्ता अधिकारों का तात्पर्य ऐसे अधिकारों से है जो किसी भी व्यक्ति को अपने उपभोग के लिए वस्तु या सेवा खरीदते समय प्रदान किए जाते हैं। उपभोक्ता को गुणवत्ता, मात्रा, मूल्य, और सुरक्षा के संदर्भ में सही जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है। इसके साथ ही, उसे शोषण से बचाने और धोखाधड़ी के मामलों में न्याय प्राप्त करने का अधिकार भी प्राप्त है।
“उपभोक्ता हित हेतु जो, सेवा में तत्पर जाय।
‘जागो ग्राहक जागो’ बिनु, ठगिया ठग ले जाय॥”
दोस्तों,
उपभोक्ता जागरूकता का अर्थ है, उपभोक्ता को अपने अधिकारों, कर्तव्यों, और कानूनों की जानकारी देना। यह जागरूकता उपभोक्ता को ठगी, मिलावट, और अनैतिक व्यापारिक गतिविधियों से बचाने में सहायक होती है। जागरूक उपभोक्ता ही स्वस्थ समाज और मजबूत अर्थव्यवस्था की नींव रखता है।
“उन्नति पथ पर देश का, जब तक ग्राहक विज्ञ।
संरक्षण के साथ में, हो जागरूकता सुविज्ञ॥”
बन्धुओं,
भारत में उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा के लिए विभिन्न कानून बनाए गए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
1. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019:-
यह अधिनियम उपभोक्ताओं को शीघ्र न्याय दिलाने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए लागू किया गया। इसके तहत उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों का गठन किया गया है जो स्थानीय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत हैं।
2. भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) अधिनियम, 2016:-
यह अधिनियम उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और उपभोक्ता को सुरक्षित उत्पाद प्रदान करने के लिए लागू किया गया।
3. खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006:-
इस अधिनियम के माध्यम से खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाती है। यह उपभोक्ताओं को सुरक्षित और गुणवत्तायुक्त खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने के लिए प्रभावी है।
4. मिलावट विरोधी कानून:-
यह कानून उन उत्पादों पर कार्रवाई करता है जो मिलावटयुक्त होते हैं और उपभोक्ता के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं।
“उपभोक्ता संरक्षण हेतु, सन उन्नीस सौ छियासी।
कानूनों की नींव रखी, समझो इसकी बातें सांची॥”
भगिनियों,
देश में उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए कार्यरत संस्थाएं और व्यक्ति भी हैं जो देश और समाज के हित में सदैव समर्पित रहते हैं उनमें से कुछ अग्रांकित हैं।
1. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC):-
यह आयोग उपभोक्ताओं की शिकायतों का निवारण करता है और उन्हें न्याय प्रदान करता है।
2. भारतीय मानक ब्यूरो (BIS):-
यह संस्थान विभिन्न उत्पादों की गुणवत्ता प्रमाणन के लिए जिम्मेदार है।
3. खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI):-
यह प्राधिकरण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच करता है और उन्हें सुरक्षा प्रमाणपत्र प्रदान करता है।
4. गैर-सरकारी संगठन (NGOs)
कई गैर-सरकारी संगठन उपभोक्ता अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने और उनके संरक्षण में योगदान देते हैं। जैसे, VOICE और CERC (Consumer Education and Research Centre)।
5. सोशल मीडिया और सक्रिय नागरिक:-
आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया और जागरूक नागरिक उपभोक्ता हितों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे शिकायतों को उजागर करते हैं और संबंधित प्राधिकरणों तक पहुंचाते हैं।
भाईयों,
एक जागरूक नागरिक और उपभोक्ता को अपने अधिकारों के साथ अपने कर्तव्यों का भी पालन करना चाहिए।
1. खरीदारी करते समय उत्पाद की गुणवत्ता और वैधता की जांच करें।
2. हमेशा बिल और रसीद प्राप्त करें।
3. अपनी शिकायतें संबंधित प्राधिकरण तक पहुंचाएं।
4. जागरूक रहें और दूसरों को भी जागरूक करें।
“सोशल मीडिया के समय में, सशक्त हुआ संसार।
ग्राहक अपने हक लिए, कर दे हर अत्याचार॥”
बहिनों,
भारत सरकार और विभिन्न संस्थाएं उपभोक्ता जागरूकता फैलाने के लिए कई अभियान चलाती हैं। “जागो ग्राहक जागो” ऐसा ही एक प्रसिद्ध अभियान है जो उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों और कानूनों की जानकारी देता है।
देवियों और सज्जनों,
अपने विचारों को विराम देने के पूर्व हम यही कहना चाहते हैं कि उपभोक्ता जागरूकता और कानून उपभोक्ता हितों की रक्षा का मूल आधार हैं। एक जागरूक उपभोक्ता ही अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता है और शोषण से बच सकता है। उपभोक्ता संरक्षण कानूनों और संस्थाओं का प्रभावी उपयोग करते हुए, हम एक सुरक्षित, स्वस्थ, और सशक्त समाज की स्थापना कर सकते हैं। अतः उपभोक्ता जागरूकता केवल एक अधिकार नहीं, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी भी है।
“कर्तव्य व अधिकार संग, रहे सदा पहचान।
सजग उपभोक्ता बनो, रचो सजग सहज समाज॥”