
“श्री अन्न”
” ज्वार, बाजरा, रागी, कुटकी, गुड़ से हैं गुणवान,
कुट्टू कंगनी कौदो जौ उत्तम स्वास्थ्य की खान।
औषधियां यह अन्न हैं, भले सब मोटो कहत अनाज,
चौलाई सांवा चेना सुनों, श्री अन्न चतुर सुजान।
रक्त शुद्धता यह करे, घात ह्रदय न होय,
ज्वार परोसें थाल में, वजन घटाने जोय।
पाचन को उत्तम करे, सहज रहे रक्तचाप,
मधुमेह में लाभ दे, खाएं बाजरा आप।
दिक्कत दांतन हडि्डयन, कमी खून की आए,
रागी अंकुर देह को रक्षक ही बन जाए।
ज्वर खांसी टी बी दरद दमा कुष्ठ के काम,
कुटकी अमृत मानिए बिना विचारें दाम।
कंगनी कैंसर की दवा, जोडन दर्द भगाए,
गर्भवती को फायदा, सूजन न टिक पाए।
चावल कहत गरीब को, अरू अकाल को अनाज,
सुपरफूड कोदो सुनो, बंजर भूमि राज।
जौ बहुमुखी अनाज है, है फाइबर भरपूर,
पित्ताशय का यह कवच, पथरी भागे दूर।
लगे समस्या नेत्र की, हो रहे बाल सफेद
लीवर की है मित्र यह, चौलाई दुख भेद।
चावल और अनार भी पीछे कई कई कोस,
पचता धीरे है मगर, सांवा श्रेष्ठ रोग प्रतिरोध।
चेना मोटा अन्न हैं, पुनर्वा ग्लूटेन मुक्त अनाज,
गेंहू जिसको न पचे, तिन भोजन उत्तम आज।
सरस स्वाद में उगें सहज में सेहत की मुस्कान,
श्रीअन्न लायें विचार कर, सुविधा से श्रीमान। “
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