
यकीं है तुम मुझे प्यार नहीं करते
- Deepak Kumar Vasishtha
- 08/04/2024
- काव्य
- कविता, त्याग, स्त्री विमर्श, हिंदी कविता
- 1 Comment
शीर्षक: यकीं है तुम मुझसे प्यार नहीं करते
आज मैं ये यकीन से कह सकती हूं ।
कि….
तुम मुझसे प्यार नहीं करते,
जब रोते देखते हो,
आंसू पोंछकर,
फिर हंस देती हूं कुछ सोचकर,
कभी बनते नहीं कारण हँसने का ,
और तुम मेरे साथ
कभी रोते भी नही,
सोते हो साथ मेरे,
पर साथ मेरे कभी होते नहीं,
सुबह से लेकर रात तक,
जीवन से लेकर मरने के बाद तक,
मानती हूं तुम में संबल अपना,
और कह ना पाती, कभी इच्छित सपना ,
तुम भांप कभी जो लेते हो ,
करते नही तब भी कोई चर्चा ,
मैं रोज रात तेरी होती,
और रोज तुम्हीं में हूं खोती,
मैं होती तुम में पूरी लीन,
तुम फिर भी, मेरे हो पाते नहीं,
हृदय से लगाकर रखतीं हूं ,
करती हूं आस , तुम जानोगे कभी ,
ये इंतजार कभी न पूरा होता,
और पाकर मुझे तू न कभी खोता,
कोई दूसरा जहान , संबल कोई दूसरा
तूने जो ना खोजा होता,
कवि: दीपक कुमार वशिष्ठ
One Reply to “यकीं है तुम मुझे प्यार नहीं करते”
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पवनेश
सुबह से लेकर रात तक जीवन से लेकर मरने के बाद तक, समर्पण की पराकाष्ठा को उभारने का उत्तम प्रयास, राधे राधे 🙏