
यहां कौन तेरा है?
- Deepak Kumar Vasishtha
- 11/04/2024
- काव्य
- कविता, जन्म मरण, मृत्यु, मोक्ष, यहां कौन तेरा है
- 1 Comment
शीर्षक: यहां कौन तेरा है ?
हम आएं है किस जहां से,
किस जहां में हमारा गमन होगा।
किन रिश्तों को छोड़ आए पीछे,
किन नातों का आगमन होगा।
जीवन के रहते रिश्ते-नाते निभाते ,
मृत्यु उपरांत किसी नए सफर को निकल जाते ।
किस जन्म में कौन था अपना, कौन पराया,
भूल चुके है अब सारे वादे, सारे रिश्ते-नाते ।
सफ़र जीवन-मरण के हर पड़ाव का ,
आत्मा में एक परिवर्तन लाता है ।
होकर पापी, धीरे-धीरे
हर जन्म में,
पापों की सजा पाता है ।
होती है निर्मल छाया,
इस तरह शुद्ध अपनी ।
होकर मुक्त, जीवन-मरण से ,
मोक्ष पाकर ,
ईश्वर में मिल जाता है ।
— दीपक कुमार वशिष्ठ,मथुरा
One Reply to “यहां कौन तेरा है?”
Leave A Comment
You must be logged in to post a comment.
पवनेश
जीवन यात्रा के शाश्वत सत्य को शब्द देती रचना, राधे राधे 🙏