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यहां कौन तेरा है?

शीर्षक: यहां कौन तेरा है ?

हम आएं है किस जहां से,
किस जहां में हमारा गमन होगा।
किन रिश्तों को छोड़ आए पीछे,
किन नातों का आगमन होगा।

जीवन के रहते रिश्ते-नाते निभाते ,
मृत्यु उपरांत किसी नए सफर को निकल जाते ।
किस जन्म में कौन था अपना, कौन पराया,
भूल चुके है अब सारे वादे, सारे रिश्ते-नाते ।

सफ़र जीवन-मरण के हर पड़ाव का ,
आत्मा में एक परिवर्तन लाता है ।
होकर पापी, धीरे-धीरे
हर जन्म में,
पापों की सजा पाता है ।

होती है निर्मल छाया,
इस तरह शुद्ध अपनी ।
होकर मुक्त, जीवन-मरण से ,
मोक्ष पाकर ,
ईश्वर में मिल जाता है ।

— दीपक कुमार वशिष्ठ,मथुरा

Deepak Kumar Vasishtha

One Reply to “यहां कौन तेरा है?”

  • पवनेश

    जीवन यात्रा के शाश्वत सत्य को शब्द देती रचना, राधे राधे 🙏

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