
!! साप्ताहिक प्रतियोगिता :- “जानकी माता” !!
- Kalpkatha
- 13/05/2024
- लेख
- प्रतियोगिता
- 3 Comments
✍🏻 *!! “साप्ताहिक आमंत्रण, कल्पकथा” !!* ✍🏻
विषय :- “!! माता जानकी !!”
समयावधि :- दिनाँक १३/०५/२०२४ से १७/०५/२०२४ रात्रि दस बजे तक
विधा :- काव्य, कहानी, लेख
भाषा – हिन्दी, संस्कृत
विशेष :- माँ वैदेही के प्राकट्य पर्व सीता नौमी के उपलक्ष्य में।
आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
कल्प कथा के नियम :-
✍🏻 कल्पकथा वेबसाइट पर रचना प्रतियोगिता श्रेणी के अंतर्गत लिखने पर प्रति प्रतियोगिता प्रमाणपत्र एवं मासिक विशेष सम्मान दिया जाएगा।
✍🏻 साप्ताहिक प्रतियोगिता में सभी प्रमाणपत्र श्रेष्ठ, उत्तम और सहभागिता रूप में तीन प्रकार के रहेंगे।
✍🏻 मासभर सभी प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने पर श्रेष्ठ, किन्ही तीन में प्रतिभाग करने पर उत्तम और दो में प्रतिभाग करने पर सहभागिता प्रमाणपत्र रहेगा।
✍🏻 साप्ताहिक प्रतियोगिता में विविध विधाओं में लिखने वाले लेखकों को *”कल्प कलम श्री”* सम्मान से सम्मानित किया जायेगा।
✍🏻 दैनिक प्रतियोगिता में आई रचनाओं के सभी श्रेष्ठ रचनाकारों को *”कल्प विधा श्री”* सम्मान से सम्मानित किया जायेगा।
✍🏻 कल्पकथा की ऑनलाइन काव्य गोष्ठियों में प्रतिभागियों को *”कल्प काव्य श्री”* सम्मान से सम्मानित किया जायेगा।
✍🏻 आपकी सभी रचनाएं स्वरचित एवं मौलिक होनी चाहिए। किसी भी प्रकार के कॉपीराइट इशू के लिए लेखक स्वयं जिम्मेदार होगा।
✍🏻 कल्पकथा पर किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत, सामुहिक या राजनैतिक प्रचार-प्रसार पूर्णतः प्रतिबंधित है।
✍🏻 यदि आप कल्पकथा संदेशों से इतर कोई व्यक्तिगत, राजनैतिक या सामुहिक विज्ञापन करना चाहते हैं तो आप संस्थापक निर्देशक या संस्थापक निदेशक कोषाध्यक्ष को इसका शुल्क जमा करवा कर प्रचार-प्रसार कर सकते हैं।
✍🏻 यदि आप बिना अनुमति लिये किसी भी प्रकार का राजनैतिक, व्यक्तिगत या सामुहिक लिंक, पोस्ट या फिर कोई चित्र/चलचित्र आदि डालते हैं तो आप पर तुरंत 25000/- रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा, जो संस्था नियमों के अनुसार अवश्य ही देय होगा।
✍🏻 आप सभी से विशेष अनुरोध है कि रचना भेजते समय रचना में ऊपर शीर्षक और नीचे लेखक/लेखिका का नाम होना चाहिए। उसके बिना रचनाएं सम्मिलित नहीं की जायेंगी।
लिखते रहिये ✍🏻 , पढते रहिये 📖 और बढ़ते रहिये।
✍🏻 कल्प आमंत्रण अध्यक्ष
कल्पकथा साहित्य संस्था
3 Comments to “!! साप्ताहिक प्रतियोगिता :- “जानकी माता” !!”
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NEERAJ MISHRA
माता जानकी
हे जनक नंदनी , माता जानकी
बारम्बार प्रणाम तुम्हें ||
हे मिथिला राज्य की , राजदुलारी
बारम्बार प्रणाम तुम्हें ||
मिथला नगरी जब सूखे से तड़फ रही
भूमि में आते ही बदल वरसे बिजली गरज रही
हे भूसुता भूमिपुत्री ,मिथला की मैथली
बारम्बार प्रणाम तुम्हें ||
हे जनक नंदनी , माता जानकी
बारम्बार प्रणाम तुम्हें ||
शिव धनु तोड़ राम संग सिया व्याह रही
अवध में छाई खुशी हजार बधाई बाज रही
हे राम भार्या , सीता माई
बारम्बार प्रणाम तुम्हें ||
हे जनक नंदनी , माता जानकी
बारम्बार प्रणाम तुम्हें ||
नीरज मिश्रा “ नीर “ बरही मध्य प्रदेश
पवनेश
राधे राधे कल्पकथा परिवार,
वर्तमान कल्पकथा साप्ताहिक आमंत्रण प्रतियोगिता में प्रदत्त विषय आदिशक्ति भगवती जगतजननी मां के मर्यादा स्वरूप माता जानकी के पावन अवतार की वन्दना करके मानव जीवन को धन्य करने कारक है।
बन्धुओं,
हम सभी ने माता जानकी के कोमल मातृरूप में प्रभु श्री राम की संगिनी के रूप नेह की सागर मईया का पग – पग पति व्रत का पालन करते हुए पाया है। किंतु रामभार्या सहधर्मिणी सीता का एक अन्य स्वरूप भी है जिसको महर्षि वाल्मीकि द्वारा आनंद रामायण में उद्धृत किया गया है।
भगिनियों,
रावण वध और विभीषण के राज्याभिषेक के पश्चात जब वानर सेना लेकर प्रभु श्री राम वापस अवधधाम पहुंच गए तब कुंभकर्ण का पुत्र मुलकासुर जिसका कुंभकर्ण और राक्षसकुल ने परित्याग कर दिया था। वह मधुमक्खियों द्वारा पोषित, और भगवान ब्रह्मा से वरदान पाकर लंका जीतने एवं विभीषण सहित सभी से राक्षसकुल के नाश के प्रतिशोध के लिए लंका पर आक्रमण कर देता है।
मित्रों,
लंका की रक्षा करने में असफल होने पर विभीषण प्रभु श्री राम के शरणागत होते हैं तो प्रभु श्री राम ने भईया लक्ष्मण, और हनुमान जी के नेतृत्व में मूलकासुर के वध के लिए सेना भेज दी किंतु ब्रह्मा जी के वरदान की शक्ति से मूलकासूर युद्व में भारी पड़ा। ब्रह्मा जी ने मूलकासुर को वरदान दिया था कि उसकी मृत्यु का कारक स्त्री शक्ति होगी।
साथियों,
प्रभु श्री राम ने ब्रह्मा जी के वरदान का प्रयोजन जान माता सीता को विस्तार से पूरा प्रसंग सुनाया तो माता भूमिजा क्रोधित हो गई। उनके क्रोध की तामसिक शक्ति से माता “चंडी” ने अवतार लिया। माता चंडी ने देवताओं की इच्छा जान राक्षस मलुकासुर के वध करने पर का निश्चय किया। दोनों के मध्य घोर युद्ध के अंत में माता द्वारा “चंडीकास्त्र” का प्रयोग करते हुए मूलकासुर का अंत कर दिया और पुनः माता सीता में समाहित हो गई।
भक्तजनों,
आईए हम सब मिलकर क्षितिजा स्वरूपधारिणी माता जानकी से प्रार्थना करते हैं कि जैसे उन्होंने चंडी रुप लेकर लंका और महाराज विभीषण की रक्षा की, मूलकासुर को मोक्ष प्रदान किया, वैसे ही वह सभी सनातनप्रेमियों पर दयादृष्टि बनाते हुए सभी को अभय प्रदान करें। जय श्री माता जानकी।
Binny Chaurasia
कल्प कथा साप्ताहिक प्रतियोगिता
कथा
विषय-माता जानकी
वैशाख शुक्ल पक्ष नवमी तिथी को मॉ जानकी का धरती मॉ के गर्भ से जन्म हुआ
जनकपुर मे हो रही बधाई राजा जनक के धर आई वैदेही
मॉ जानकी के कदम जब पड़े भुमि पर हर्षित हुई जनकपुर नगरी
चहुंओर से पुष्प की वर्षा देवगण कर रहे शंखनाद
मॉ जानकी की सुशोभित मन्द मुस्कान
गा रहे बधाई जनकपुर नगरी धन्य हुई है अब ये धाम
राजा जनक ने स्वयंवर रचा शिव धनुष तोड़ा और स्वयंवर किया
श्री राम जी संग विराजे है माता जानकी
राम जी संग अवध नगरी पधारी सुख दुख निभाये युगल ये जोड़ी
वन भी साथ गई मॉ जानकी रच दिया ये नया इतिहास
अधर्म पर होगी धर्म की जीत साथ निभाया व संकल्प किया
जो छूआ तो जल जायेगा फिर रावण क्रोधित अपार हुआ
पर कर ना सका वो कुछ भी उपाय
राम जी रचा और रावण को मारा सीता जी को मुक्त किया
सीता जी को अवधपुर लाए अवधपुर नयन पुष्प वर्षा हुई
फिर न्याय की बातो मे हुआ विछोह अग्नि परीक्षा दिया मॉ जानकी ने
नही पूर्ण हुआ मॉ का त्याग फिर जिस धरती से जन्म लिया था उसी
धरती मे समा गई मॉ
माॅ ने सतीतव की परीक्षा दे कर हर नारी को दे दिया मान
समर्पण,त्याग की देवी स्त्रीत्व की माता धन्य हो गई जानकी माता
सियाराम की मनमोहक छवि
राम सीता की अनुपम जोड़ी युगो युगो तक रहेगा याद
अवध की शान है सियापति राम
रामायण मे पूरा बखान सीताराम का है पूर्ण श्रृंगार कथा
बोलो सियावर राम चन्द्र की जय
सियापति राम चन्द्र की जय
स्वरचित कविता
बिन्नी चौरसिया
अयोध्या