माँ तुम केवल माँ हो
- Jaya sharma
- 2024-06-11
- काव्य
- स्त्री विशेष
- 1 Comment
मां तुम केवल मां हो,
मां तुम केवल मां हो,
ममता से भरी मिश्री की डली हो
बच्चों के चेहरे की मुस्कुराहट ही
तेरे हर दर्द की दवा है ।
बच्चों के चेहरे की रौनक ही
तेरे मन की सुंदरता है ।
बढते बच्चों के कदमों में
तेरे सपनों की उडान है ।
बच्चों के मन में उभरी कोई टीस
तेरे अंतर्मन को उदास करती है ।
बच्चों की मूक अभिलाषा को
तुम स्वतः ही जान जाती हो ।
मां तुम्हारे पास होने का एहसास
मुझे निडर और निर्भीक बनाता है ।
मेरे भय को काटने के लिए
मां तुम साक्षात् दुर्गा हो,
मेरे चेहरे की चमक के लिए,
मां तुम साक्षात् लक्ष्मी हो,
मेरे स्वर में राग भरने के लिए,
मां तुम साक्षात् सरस्वती हो,
एक संस्कार मां मुझमें जरूर रोपना
शीर्ष शिखर पर पहुंचने पर भी,
मेरा समर्पण अपने चरणों में रखना ।
जया शर्मा प्रियंवदा
One Reply to “माँ तुम केवल माँ हो”
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पवनेश
मां, दीदी एक शब्द में पूरा ब्रह्माण्ड समेट लिया है। राधे राधे 🙏🌹🙏