
जग के पालनहार कन्हैया
- Swati Shrivastava
- 25/08/2024
- काव्य
- कृष्ण जन्माष्टमी भक्ति धार्मिक आध्यात्मिक
- 2 Comments
हो सकल जगत मे व्याप्त चराचर सृष्टि के आधार कन्हैया,
जग के पालनहार कन्हैया।।
यशोमति का राजदुलारा, नटखट चंचल माखनचोर,
गोकुल की गलियों की रौनक, गली गली मे उसका शोर,
नित करते अद्भुत लीलाएं, बाल रूप में श्री भगवान,
तभी तो कान्हा रूप ही लगती , हर माँ को अपनी संतान,
यथा रूप घर घर है विराजे, प्यारे लड्डू गोपाल कन्हैया।
जग के पालनहार कन्हैया।।
बंसी की मोहक धुन पर झूमा ब्रजमंडल सारा है,
एक मुस्कान पर किसना की ,गोपियों ने तन मन हारा है,
राधे कृष्ण की जोड़ी की तो हर एक बात निराली है,
राधे राधे जपो तो दौड़े आते चले बिहारी हैं।
अपनी प्रेम कहानी से बतलाते प्रेम का सार कन्हैया,
जग के पालनहार कन्हैया।।
करने अधर्म का नाश हाथ मे चक्र सुदर्शन थाम लिया,
युद्धभूमि मे चकित पार्थ को अद्भुत गीता ज्ञान दिया,
दिखलाया रूप विराट , धन्य हुए पार्थ कर दिव्य दर्शन,
स्वयं रहे निशस्त्र, सुझाते कृष्ण मार्ग सारथी बन।
सदा धर्म हो विजय ,लेते इसीलिये अवतार कन्हैया,
जग के पालनहार कन्हैया।
2 Comments to “जग के पालनहार कन्हैया”
Leave A Comment
You must be logged in to post a comment.
पवनेश
जग के पालनहार कन्हैया,
राधे राधे स्वाति जी, भक्ति भाव पूर्ण सृजन हेतु सादर बधाई 🙏🌹🙏
Swati Shrivastava
🙏🙏😇