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!!”कल्प सृजन प्रवाह प्रतियोगिता”!!

!! अश्विन मास शारदीय नवरात्र विशेष!!

!! “विषय : मां ब्रह्मचारिणी”!!

विशिष्ट आमंत्रण क्रमांक:

कल्प/अक्तूबर/२०२४/क२/द्वितीया 

विधा: लेख

भाषा : हिन्दी

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:। 

नवरात्रि का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित है. मां का एक नाम अपर्णा भी है।माता का स्वरूप बहुत ही अलौकिक माना गया है. देवी ब्रह्मचारिणी की आराधना का धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों पहलुओं पर काफी महत्व है. ब्रह्मचारिणी यानि ब्रह्मचर्य का पालन कराने वाली. माता का यह स्वरूप तपस्वी का है. यहां ब्रह्मचर्य का अर्थ तप से है. ब्रह्म का अर्थ है तप और चारिणी का अर्थ है आचरण कराने वाली यानि तपमय जीवन यापन करने वाली. हम सभी अपने जीवन में किसी ना किसी तप का पालन करते हैं. फिर चाहे वह हमारे कार्यक्षेत्र में मिलने वाली कठिनाई हो या फिर हमारे निजी जीवन की चुनौतियां हों 

 तप का अर्थ सिर्फ तपस्या से नहीं है बल्कि अपने जीवन की चुनौतियों का डटकर सामना करने से है. तो इस दिन माता की आराधना हमें जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना करने का बल देती है. यदि हम अपने शरीर की बात करें तो माता ब्रह्मचारिणी की आराधना से हमारे शरीर का स्वाधिष्ठान चक्र जागृत होता है. जो कि मन के शुद्धिकरण और विचारों को नियंत्रित करने में मदद करता है. इस चक्र के जागृत होने पर हमारे अंदर साहस में बढ़ोत्तरी होती है.

अंकिता श्रीवास्तव 

भोपाल 

 

 

 

 

 

Ankita Shrivastava

One Reply to “!!”कल्प सृजन प्रवाह प्रतियोगिता”!!”

  • RK

    राधे राधे अंकिता जी,
    कल्प सृजन प्रवाह प्रतियोगिता में सहभागिता हेतु आपके द्वारा कल्पकथा वेबसाइट पर प्रकाशित लेख रुचिकर एवं तथ्यपूर्ण हैं
    यहां पर एक बिंदु की तरफ आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं जो संभवतः किसी कारण से आपसे छूट गया है।
    कल्प सृजन प्रवाह प्रतियोगिता में सिर्फ काव्य रचनाएँ स्वीकृत की जाती हैं।
    आग्रह है निर्धारित विषय पर काव्य रचनाओं के साथ सहभागिता करें।
    सादर
    🙏🌹🙏

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