
ओज सूर्य रामधारी सिंह दिनकर
- पवनेश
- 26/11/2024
- काव्य
- प्रतिस्पर्धा
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⛩️ *!! “साप्ताहिक आमंत्रण – कल्प/नवम्बर/२०२४/द” !!* ⛩️
📜 *विशिष्ट आमंत्रण क्रमांक :– कल्प/नवम्बर/२०२४/द* 📜
📚 *विषय :- !! “मेरे प्रिय कवि” !!* 📚
🪔 *विधा :- !! “काव्य” !!* 🪔
📢 *भाषा :- !! “हिन्दी” !!* 📣
🎊 *”!! विषय:- ओजसूर्य रामधारी सिंह दिनकर जी !!”* 🎊
सूर्य समान तेजस्विता, शब्दधार से जग को नहलाया,
दिनकर ने भारत भूमि को, ओजस्वी स्वर से सजाया।
क्रांति-दीप के अग्रदूत बन, जन-जन में अलख जगाई,
युग-चेतना के युगधर्मा ने, नव जागृति की लौ जलाई।।
परशुराम की प्रतीक्षा में, चेतावनी का शंख बजाया,
अहंकार के अंधकार को, सत्य की राह दिखाया।
रश्मिरथी की गर्व गाथा से, कर्ण की महिमा गाई,
संघर्षशील जीवन दर्शन की, हर पीड़ा समझाई।।
हुंकार भर रणवीरों को दिनकर ने, रण में साहस दिया,
विजय-पथ पर बढ़ते कदमों को, पुनः आलोकित किया।
उर्वशी में प्रेम-मर्यादा का, अद्वितीय संगम लेकर आए,
मानवता के जटिल हृदय को, कवि सहज भाव समझाए।।
संस्कृति के चार अध्याय में, भारत की गाथा लिखी,
धरा, गगन, और सागर तक, संस्कृति मान बढ़ाया सखी।
ओज, करुणा, और प्रेम से, काव्य को संग्रहणीय बनाया,
दिनकर ने अपनी वाणी से, ओजकवि का गौरव पाया।।
सृजन प्रयास:-
पवनेश मिश्रा।
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