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गुरु वंदना

विशिष्ट आमंत्रण क्रमांक :– !! “कल्प/जनवरी/२०२५/अ” !

विषय :- “ गुरु वंदना ” 

विधा :- काव्य 

शीर्षक: गुरु वंदना 

  1.  

गुरु के स्नेह की छाया, उनकी सतत शरण का अवलंबन,

उनके अनुदान अपार कि महके फुलवारी सा मन आँगन,

सब कुछ पाया है उनसे अब यही चाहता अंतर्मन, 

गुरु चरणों में रहे समर्पित मेरा जीवन ,तन मन धन ।

 

जीवन की तिमिर निशा मे गुरु का दीपक बनकर आना,

करके प्रकाश आलोकित मन की हर दुविधा सुलझाना,

मैंने उनसे ही सीखा प्रेम, निस्वार्थ भाव और अपनापन 

गुरु चरणों में रहे समर्पित मेरा जीवन ,तन मन धन ।

 

कहत कबीर सुनो भई साधो गुरु अमृत की खान,

स्वयं विवेकानंद शिवाजी देते प्रत्यक्ष प्रमाण,

ज्ञान रूप गुरुदेव सिखाते निग्रह, संयम, सतचिंतन,

गुरु चरणों में रहे समर्पित मेरा जीवन ,तन मन धन ।

 

 – स्वाति श्रीवास्तव 

  भोपाल 

 

 

 

Swati Shrivastava

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