
“होली है”
ब्रज में फागुन रंग बरस, राधा संग श्रीनाथ।
होरी खेलत धूम मचाय, गोकुल में दिन-रात॥
भक्त प्रह्लाद धरा समर्पित, अग्नि रह्यो निरुपाय।
सत्य विजय भय दूर भजै, होली ताहि बताय॥
शिव गले फणि, सिर पर गंगा, हृदय हुलास अपार।
भस्म रमाय शिव खेलत होरी, प्रेमन की बौछार॥
रंग गुलाल उड़े अंबर में, मंत्र गूँजते साथ।
देव धरा पर सजे होली में, रचो मंगलपाथ॥
नरसिंह रूप धरि हरिहिं आई, सत्व उबारे काज।
होली की ज्वाला साक्षी, असुर भयो लाज॥
प्रेम भक्ति अनुराग बरसत, श्याम रंग में भीज।
होरी में ही आत्मरंग, ज्ञान सुधा को सीज॥
लोभ मोह मद क्रोध जलाई, अंतर ज्योति प्रगास।
चित्त चकोर बसंत सम, मधुर हृदय उल्लास॥
राग रंग कर भाग मिलाया, द्वैत मिटाय उपाय।
हरि से हरि मिल जाव मन में, होली वही कहाय॥
राम नाम की फाग लगा के, अंतर का द्वंद छोड़।
भाव भक्ति में लीन जो उतरे, भवसागर से मोड़॥
सत्य प्रेम जब हृदय बसावे, देखहु ब्रह्मा ठाठ।
कृष्ण रंग में रंग जो डूबा, रहे न कोई बात॥
बाल वृद्ध नर नारी खेले, भेद भाव सब भूल।
संग-संग नाचे गाए जग, निर्मल जल सम कूल॥
स्वजन-मिलन का पर्व अनोखा, द्वेष दहे होलार।
बैर मिटे, मन फूल सम खिल, रिश्ते हों गुलजार॥
नेह-नाता स्नेह प्रगटकर, जग को रंगीन करे।
ऊँच-नीच की दीवार गिरा के, प्रेम सुधा रस भरे॥
हँसी ठिठोली, मधुर मुहूर्ता, हर्ष मनावे भीड़।
गली गली में हर्ष पसारे, बहे उमंग की नीड़॥
बुरा न मानो, फागुनी बेला, प्रेम पगे सब लोग।
संग-संग रंगे गाल गुलाबी, होरी का संजोग॥
हलधर हर्षित अन्न उगावे, खेतन में नव भाल।
नवल फसल का गान गूँजता, धरती हो खुशहाल॥
रँग रँगोली, वस्त्र सुहाने, व्यापरियों के दिन।
मिष्ठान्न, अबीर, पिचकारी से, भरें कुटीर नवीन॥
गाँव-गाँव में हाट सजाए, मंगल गान सुनाय।
धंधे-धाम बढ़े हर द्वारे, हर दिन शुभ हो जाय॥
कृषक हृदय में हास उमंगें, धन्य हुई उपजाय।
धरा झूम, धन धान्य बरसे, ऋतु रंगिणी छाय॥
चहुँ दिश बाजे ढोल मृदंगा, नृत्य करे जनगण।
अर्थ प्रवाह बहाय समृद्धि, सुख से झूमे वन॥
पर्वत तरु वन फूल खिलाए, मौसम मधुर सुहाय।
नवल बसंती बयार बहाके, होली रस बरसाय॥
मलय पवन बहे सौरभ लहरी, मंद गंध सौगंध।
फगुनाई फिज़ा में फैली, बहे सुवास सुगंध॥
सुरसरिता के तीर बिखेरा, नेह रंग अभिराम।
पर्वत घाटी रंग समोई, प्रकृति करे प्रणाम॥
रेगिस्तान की मिट्टी गाए, होली गीत सुहाय।
बर्फीली उपत्यकाओं में भी, हर्ष उमंग समाय॥
धरती माँ के अंचल महके, फूलों की मुस्कान।
हरियाली का हृदय हुलासे, होली की पहचान॥
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