
राष्ट्रीय ध्वज अंगीकरण दिवस पर मेरे विचार
- Shashi Dhar Kumar
- 22/07/2025
- लेख
- आत्मा का प्रतीक, गरिमा, तिरंगा, पहचान, भारत, राष्ट्र का ध्वज
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हर राष्ट्र का ध्वज उसकी पहचान, गरिमा और आत्मा का प्रतीक होता है। भारत का तिरंगा न केवल हमारे स्वाधीनता संग्राम की गवाही देता है, बल्कि आज भी हर नागरिक को एकता, विविधता और बलिदान की याद दिलाता है।
1. इतिहास की पृष्ठभूमि (तिरंगे का जन्म): 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने जिस तिरंगे को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया, उसका मूल स्वरूप पिंगली वेंकैया द्वारा प्रस्तुत किया गया था। केसरिया, श्वेत और हरे रंग की पट्टियों में अशोक चक्र को जोड़कर इसे भारतीय संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों से जोड़ा गया।
तीन रंग, तीन संकल्प, एक ही अभिमान है,
केसरिया बलिदान की ज्वाला, शांति श्वेत की पहचान है।
हरा हरियाली, जीवन का संदेश रचता है,
नभ में घूमता चक्र कहे – कर्म ही सच्चा धर्म है।
2. स्वतंत्रता आंदोलन में तिरंगे की भूमिका: तिरंगा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान केवल कपड़े का टुकड़ा नहीं था, बल्कि वह एक प्रेरणा था, जो भगत सिंह से लेकर महात्मा गांधी तक, हर सेनानी के सीने में जुनून भरता रहा। जलियाँवाला बाग से लेकर काकोरी कांड तक, यह ध्वज प्रतिरोध का प्रतीक रहा।
जिस झंडे को थाम लड़े थे, रण में वीर सपूत हमारे,
उसमें लिपट गए वो तन-मन, बनकर अमर सितारे।
सीने पे गोली खाकर भी, मुख से जय-भारत बोले,
तिरंगे की शान में जिए, वही भारत के प्यारे।
3. तिरंगे का प्रतीकात्मक महत्व
केसरिया: साहस और बलिदान
श्वेत: सच्चाई, शांति और पवित्रता
हरा: समृद्धि और हरियाली
अशोक चक्र: धर्म, न्याय, और गति का प्रतीक (24 तीलियाँ)
ना जात-पात की भाषा इसमें, ना मज़हब की दीवारें,
यह हर दिल की धड़कन बनता, जोड़ता सबके किनारे।
रंगों में बसी है भारत की आत्मा की गहराई,
जो इसे समझ ले, समझो खुद में देश बसाए सारे।
4. आज के भारत में तिरंगे की प्रासंगिकता: आज जब विश्व मंच पर भारत आत्मनिर्भर बन रहा है, चंद्रयान से लेकर ओलंपिक तक, तिरंगा हर भारतीय की आकांक्षा और आत्मगौरव का प्रतीक बन चुका है। ‘हर घर तिरंगा’ जैसे अभियान नयी पीढ़ी को इससे जोड़ने का माध्यम हैं।
हर छत पर जब लहराए ये, हो गर्व से सीना चौड़ा,
हर हाथ में तिरंगा बोले – अब है भारत अधिक बड़ा।
चंद्रयान से स्टेडियम तक, ये उड़ता स्वाभिमान है,
यह झंडा अब प्रतीक नहीं, नवभारत की पहचान है।
5. आत्मचिंतन: आज हमें तिरंगे के पीछे के आदर्शों को आत्मसात करने की जरूरत है—सत्य, शांति, न्याय, साहस, और सहयोग। तिरंगे की शान तब ही बनी रहेगी जब हम उसके मूल्यों को जीवन में उतारेंगे।
झुके न कभी ये तिरंगा, यही हमारा प्रण हो,
इसके नीचे जन्म लें, और इसी में जीवन धन हो।
यह केवल रंगों की बात नहीं, यह आदर्शों की पूजा है,
तिरंगे के नीचे खड़ा हर जन, भारत की ही पूजा है।
राष्ट्रीय ध्वज केवल प्रतीक नहीं, वह एक जीवंत विचार है, जो हमें निरंतर प्रेरणा देता है। 22 जुलाई न केवल ‘ध्वज अंगीकरण दिवस’ है, बल्कि भारतीय आत्मा को सम्मान देने का दिन है।
One Reply to “राष्ट्रीय ध्वज अंगीकरण दिवस पर मेरे विचार”
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पवनेश
राधे राधे आदरणीय 🙏
सहमत हूं २२ जुलाई भारतीय आत्मा को सम्मान देने का दिवस है। सादर 🙏