
“दीपों में हरि मुस्काएगा”
🌟🎶 दीपों में हरि मुस्काएगा 🎶🌟
मनहर उत्सव दमक रहा है, ज्योति झरे आँगन में,
मन के भीतर दीप जलाओ, उजियारा हर कण में।
मन की ज्योति मन से खोलें,
दीप हैं मोती भाव से बोलें।
ज्योति छवि में देख नयनकर,
छवि ज्योति में होलें।।
मन की गति को मन के ऊपर,
मन ही तो पहुंचाएगा।
पता नहीं किस छवि में आकर, हरि तुमको मिल जाएगा,
दीप में, मन में, भावों में फिर, प्रभु आकर मुस्काएगा…
🌼 (१) धन त्रयोदशी – आरोग्य व आराधना)
धन्वंतरि की वाणी गूँजे,
ओषधि नाम बनाए,
हरि का हो अभिराम सखा रे,
तन मन संग नहाए।
कर्म अगर हो शुभ्र सवेरा,
रोग भस्म हो जाएगा,
जो हर श्वास में हरि जपेगा,
अमृत वो पा जाएगा।
पता नहीं किस छवि में आकर, हरि तुमको मिल जाएगा,
दीप में, मन में, भावों में फिर प्रभु आकर मुस्काएगा…
🌸 (२) रूप चतुर्दशी – अंतः शुद्धि का स्नान)
रूप नहीं मन का निर्मल हो,
भाव हो शीतल धार।
सत्य सजल हो दृष्टि तेरी,
हरि का हो व्यवहार।।
काया चमके जब भीतर से,
रूप निखर कर आएगा,
जो मन का दर्पण धो लेगा,
प्रभु का दर्शन पाएगा।
पता नहीं किस छवि में आकर, हरि तुमको मिल जाएगा,
दीप में, मन में, भावों में फिर प्रभु आकर मुस्काएगा…
💰 (३) लक्ष्मी पूजन – श्रम, नीति और समर्पण)
माँ लक्ष्मी का नाम सुहाना,
कर्म से जिनका साथ,
लोभ जहाँ न वास करे,
वहीं टिके हरि का हाथ।
धर्म बने आराधन तेरे,
धन बने दान का फेरा,
दीप उजालों के जो बांटे,
हरि का दर्शन पाएगा।।
पता नहीं किस छवि में आकर, हरि तुमको मिल जाएगा,
दीप में, मन में, भावों में फिर प्रभु आकर मुस्काएगा…
🐄 (४) गोवर्धन पूजा – धरती और संरक्षण)
गोवर्धन-सा गिरिवर बोले,
भक्तो भज लो नाम,
गौ ग्राम जल वन में सबमें,
हरि का ही है धाम।
जो धरती का मान रखेगा,
वह ऊँचा उठ जाएगा,
गोद में सेवा की आकर,
हरि का ही आँचल पाएगा।।
पता नहीं किस छवि में आकर, हरि तुमको मिल जाएगा,
दीप में, मन में, भावों में फिर प्रभु आकर मुस्काएगा…
👩❤️👨 (५) भाई दूज – स्नेह, रक्षा और संबंध)
बहना की आँखों में ज्योति है,
भाई के मन में मान,
प्रीत अमर है दीपशिखा सम,
नेह प्रीत पहचान।
जिस घर में विश्वास बसेगा,
वहाँ सत्य भी वास करेगा,
बंधन प्रेम का जब निर्मल हो,
ईश उजास दिलाएगा।।
पता नहीं किस छवि में आकर, हरि तुमको मिल जाएगा,
दीप में, मन में, भावों में फिर प्रभु आकर मुस्काएगा…
कान लगा तू सुन ले मनवा,
दीपों की जो भाषा है,
हरि के द्वार वही खुलते,
जहाँ प्रेम की आशा है।
तुम विश्वास रखो आलोक में,
प्रभु स्वर हर पल आएगा,
अंधियारे को चीर के कोई —
बन दीपक मुस्काएगा।।
पता नहीं किस छवि में आकर, हरि तुमको मिल जाएगा,
दीप में, मन में, भावों में फिर प्रभु आकर मुस्काएगा…
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