हुलसी के तुलसी
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Jaya sharma
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29/11/2024
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लेख
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आध्यात्मिक
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मेरा चित्त तुलसी के काव्य के सौंदर्य के प्रति पूर्णतया समर्पित हो जाता है ।तुलसी की विनय पत्रिका ,गीतावली ,दोहावली आदि के साथ तुलसी के संपूर्ण ग्रंथ भारतीय संस्कृति के अनमोल रत्न है।
मेरे कुछ शब्द मेरे प्रिय कवि तुलसी के लिए सादर ।
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सांसो की लय हो तुम
तुम स्त्री हो
केवल स्त्री नहीं
तुम निर्मात्री
तुम संचालिका
तुम निर्देशिका भी हो मेरी ।
कभी दूर होकर भी
तुम्हारी छाप मेरे साथ होती है ।
मेरे हर फेसले पर ,
छिपी राय तुम्हारी ही होती है ।
थके हुए कदम घर वापसी में
तुम्हारी मौजूदगी में
सहज हो चंचल हो उठते हैं ।
तुम हो तो,
घर मेरा घर है।
तुम्हारी मौजूदगी घर की गरिमा है ।
सुबह शाम की ज्योत बाती हो तुम ।
तुम ही हो घर की लक्ष्मी ,
मेरे मन में बसी छिपी दुर्गा तुम ही हो ।
तुम्हारी अनहोनी को .
सपने में भी सोच बेचैन हो जाता हूँ ।
मेरी सांसो की लय हो तुम ।
मेरी प्रियतमा बन
मेरी जिंदगी की डोर हो तुम ॥
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माँ तुम केवल माँ हो
मां तुम केवल मां हो, मां तुम केवल मां हो,ममता से भरी मिश्री की डली हो बच्चों के चेहरे की मुस्कुराहट ही तेरे हर दर्द की दवा है ।बच्चों के चेहरे की रौनक ही तेरे मन की सुंदरता है ।बढते बच्चों के कदमों में तेरे सपनों की उडान है । बच्चों के मन में उभरी कोई टीस तेरे अंतर्मन को …
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